● वैज्ञानिकों की रेडियो फ्रीक्वेंसी विकिरण पर रिसर्च, अध्ययन में दिखे खतरनाक बदलाव

नई दिल्ली।
क्या मोबाइल फोन की रेडियो तरंगें हमारे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती हैं? इस सवाल का जवाब ढूंढने के प्रयास में वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया, जिसमें 2100 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) की रेडियोफ्रीक्वेंसी जैसी कि मोबाइल नेटवर्क में उपयोग होती है, से चूहों के मस्तिष्क ऊतकों पर प्रभावों का परीक्षण किया गया।
इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला के चूहों को रोजाना एक तय समय तक इस फ्रीक्वेंसी के संपर्क में रखा बिल्कुल उसी तरह जैसे इंसान मोबाइल फोन इस्तेमाल करता है। 30 दिनों के इस प्रयोग के बाद जब चूहों के मस्तिष्क और श्रवण प्रणाली के ऊतकों की जांच की गई तो वैज्ञानिकों ने पाया कि उनमें कई प्रकार के सेलुलर बदलाव, न्यूरोनल क्षति, और अपोप्टोसिस (प्रोग्राम्ड सेल डेथ) के संकेत दिखे।
विशेष रूप से श्रवण भागों में तंत्रिका कोशिकाओं की संरचना में बदलाव, ऊतकों में सूजन और कोशिकाओं के सिकुड़ने जैसे परिवर्तन दर्ज किए गए। ये बदलाव दर्शाते हैं कि लंबे समय तक मोबाइल तरंगों के संपर्क में रहना, जैविक स्तर पर मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकता है।
मानव स्वास्थ्य पर भी शोध शुरू
हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि चूहों पर किए गए परीक्षणों के परिणामों को सीधे मानव स्वास्थ्य पर लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों की जैविक संरचना में महत्वपूर्ण अंतर हैं। फिर भी यह शोध उन चिंताओं को बल देता है जो मोबाइल फोन की रेडियो तरंगों और मानव स्वास्थ्य पर उसके दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर समय-समय पर उठती रही हैं।
वर्तमान में मोबाइल रेडिएशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत सुरक्षा निर्देश तय हैं लेकिन इस अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि और अधिक दीर्घकालिक व मानव-केंद्रित शोध की आवश्यकता है ताकि इन विकिरणों के संभावित प्रभावों को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
विशेषज्ञों की राय
विज्ञान जगत में यह अध्ययन एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग किया जाए या रात में तकिए के पास रखा जाए तो यह न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
क्या करें?
- मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयोग को सीमित करें
- ज्यादा देर कॉल पर बात करनी हो तो इयरफोन या स्पीकर का प्रयोग करें
- बच्चों को अनावश्यक मोबाइल एक्सपोजर से बचाएं
- सोते समय मोबाइल को सिर से दूर रखें
स्रोत: PubMed, Springer Nature, EMF Health Studies