● वैज्ञानिकों ने बताया नया दृष्टिकोण

नई दिल्ली।
अब तक जिसे हम केवल एक विटामिन मानते आए हैं, वैज्ञानिक समुदाय ने उसे हार्मोन के रूप में देखने की सिफारिश की है। विटामिन डी को लेकर हुए नवीनतम शोध यह स्पष्ट करते हैं कि यह शरीर में एक स्टेरॉइड हार्मोन की तरह कार्य करता है और इसकी भूमिका केवल पोषण तक सीमित नहीं है।
शोधकर्ताओं के अनुसार विटामिन डी की रासायनिक संरचना कोलेस्ट्रॉल से मिलती-जुलती है। ठीक वैसे, जैसे कॉर्टिसोल, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन। यह शरीर में जाकर कैल्सिट्रायोल नामक सक्रिय रूप में परिवर्तित होता है, जो विटामिन D रिसेप्टर्स से जुड़कर शरीर की जीन गतिविधियों को प्रभावित करता है।
इम्युनिटी से लेकर हड्डियों तक असर
विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है और कुछ अध्ययनों के अनुसार कोशिकीय वृद्धि को भी प्रभावित करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी कमी से न सिर्फ हड्डियां कमजोर होती हैं बल्कि संक्रमण, सूजन और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
सूरज की रोशनी और आहार स्रोत
विटामिन डी सूर्य की अल्ट्रावायलेट-बी किरणों से त्वचा में उत्पन्न होता है, वहीं अंडे की जर्दी, वसायुक्त मछलियों और फोर्टिफाइड दूध जैसे खाद्य पदार्थों से भी यह प्राप्त होता है। लेकिन शहरी जीवनशैली और कम धूप के कारण इसकी कमी तेजी से बढ़ रही है।
विटामिन डी पर यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण स्वास्थ्य नीति और जागरूकता अभियानों में नया मोड़ ला सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय आ गया है जब विटामिन डी को हार्मोन डी कहने पर गंभीरता से विचार किया जाए।
स्रोत: जेएएमए, नेचर रिव्यूज एंड इंडियन मेडिकल जर्नल्स