● इजराइली वैज्ञानिकों की अनूठी खोज, कृषि क्षेत्र में नई दिशा संभव

तेल अवीव, इजराइल।
अब तक माना जाता था कि पौधे मूक जीव हैं जो केवल रासायनिक या दृश्य संकेतों से अपनी बात कह पाते हैं। लेकिन इजराइल के वैज्ञानिकों ने अब एक क्रांतिकारी खोज करते हुए यह साबित किया है कि पौधे भी ध्वनि के माध्यम से संवाद करते हैं और कीट उन्हें सुन भी सकते हैं।
तेल अवीव विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में पता चला है कि जब टमाटर के पौधे पानी की कमी के कारण तनाव में होते हैं तो वे अल्ट्रासोनिक (पराआवृत्तीय) ‘डिस्ट्रेस सिग्नल’ छोड़ते हैं। ये सिग्नल मनुष्यों के सुनने की सीमा से बाहर होते हैं लेकिन मादा कीट इन्हें साफ-साफ पहचान लेती हैं।
कीटों के व्यवहार में बदलाव
शोधकर्ताओं ने प्रयोगों में देखा कि मादा कीट ऐसे पौधों पर अंडे देने से बचती हैं जो ये अल्ट्रासोनिक सिग्नल छोड़ते हैं। जब कीटों को दो पौधों के बीच विकल्प दिया गया कि एक तनावग्रस्त (जो ध्वनि छोड़ रहा था) और दूसरा सामान्य, तो कीटों ने शांत और स्वस्थ पौधों को चुना।
यह भी सिद्ध हुआ कि यदि कीटों की श्रवण क्षमता को निष्क्रिय कर दिया जाए तो वे दोनों पौधों में अंतर नहीं कर पातीं।
क्या है संभावित लाभ?
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज कृषि और कीट नियंत्रण के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल सकती है। यदि पौधों की ध्वनि को रिकॉर्ड कर कृषि प्रणाली में लागू किया जाए तो यह कीट नियंत्रण के लिए एक जैविक और पर्यावरण-संवेदनशील समाधान बन सकता है।
अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि अन्य जीव जैसे चमगादड़ या पक्षी भी पौधों की इस भाषा को सुन सकते हैं। यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में संवाद के एक नए माध्यम की ओर संकेत करता है।प्रो. योसी योवेल और प्रो. लिलाच हदानि की टीम द्वारा किया गया यह अध्ययन प्रकृति की रहस्यमयी दुनिया की नई परतें खोलता है।
(स्रोत: eLife Journal, July 2025 edition, Phys.org, Reuters Science)