● कभी एक मुट्ठी चावल को तरसीं, सेवाकार्य ने दिलाया पद्मश्री
◆ रिपोर्ट: अभिषेक पांडेय

अपने कवि मित्र राजू मिश्रा के कहने पर समाजसेवी दिवेश यादव के घर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवा के क्षेत्र में प्रशस्त एक हस्ती से मिलने पहुंचा। जब हम निश्चित स्थान पर पहुंचे तो मैंने देखा कि वहां बहुत सारे लोग इकट्ठा थे। लोगों के बीच एक महिला बैठी थी, जिनसे लोग वार्तालाप कर रहे थे। वहां उपस्थित काफी लोगों ने मेरे टीवी शो, मेरे रील्स, मेरे वीडियो देखे थे। मुझे पहचानते थे। वहां पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव से भेंट हुई, जिन्हें सब फूलबासन दीदी के नाम से जानते हैं।
कभी दाने-दाने को तरसीं
उन्होंने अपने शुरुआती जीवन के बारे में जब बताया कि कैसे एक-एक मुट्ठी चावल के लिए उनका बचपन तरसा है। जब उनकी शादी हुई। चार बच्चे हुए तो सबने साथ छोड़ दिया लेकिन गरीबी ने साथ नहीं छोड़ा। कैसे वह पड़ोसी के घर जाकर एक-एक मुट्ठी चावल मांगती थीं। जब लगातार तीन-चार दिन न चावल मिला, न चावल का मांड़ मिला तब फूलबासन दीदी को लगा कि यह जीवन समाप्त कर लेना ही अच्छा है। उन्होंने बताया कि मैं अपने चारों बच्चों को लेकर ट्रेन से कट कर मरने जा रही थी। चारों बच्चों को लेकर उस ट्रेन के नीचे कटने के लिए तैयार खड़ी फूलबासन बाई का पैर बेटियों पकड़ लिया कि मां मुझे मत मारो। मुझे मरना नहीं है। एक मां का दिल पसीज गया। वे यह सोचने को मजबूर हो गईं कि आज भूख के कारण मैं अपने बच्चों के साथ मरने जा रही हूं। लेकिन मेरी जैसी और न जाने कितनी महिलाएं होंगी। फूलबासन दीदी बताती हैं कि यहीं से मेरा जीवन बदल गया और मैंने महिलाओं के उत्थान का संकल्प लिया।

घर आकर उन्होंने 8-10 महिलाओं को जोड़ा। एक समूह बनाया और दो मुट्ठी चावल और ₹2 एक योजना शुरू की। हर कोई अपने-अपने घर से दो मुट्ठी चावल देगा और ₹2 देगा। वह चावल उन महिलाओं को, उन परिवारों को दिया जाएगा जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं और वह पैसा उन बच्चों के लिए खर्च किया जाएगा जो स्कूल जाना चाहते हैं, लेकिन स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। वह दिन और आज का दिन दीदी को पद्मश्री सम्मान मिला। न जाने कितने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले और उनसे प्रेरणा लेकर बहुत लोग ऐसे सद्कार्य कर रहे हैं।
‘कौन बनेगा करोड़पति’ के पैसे जनकल्याण में लगाए
ज भी दीदी लगातार छत्तीसगढ़ की आदिवासी व गरीब महिलाओं के लिए काम कर रही हैं। फूलबासन दीदी अपने समूह की महिलाओं के साथ डेरी उद्योग चलाती हैं। बकरी पालन करना सिखाती हैं। भगवान के ऊपर चढ़े हुए फूल जो अगले दिन सूख जाते हैं, उनसे अगरबत्ती बनाने का काम करती हैं। ऑर्गेनिक खेती, वर्मी कंपोस्ट खाद आदि चीजों पर काम करती हैं। 2004 में सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इनको ढूंढा। इनको सम्मान दिया। फिर भारत सरकार ने इनको पद्मश्री पुरस्कार दिया। दीदी को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अभिनेत्री रेणुका शहाणे के साथ बुलाया गया। वहां उन्होंने 50 लाख रुपए जीते। वो पैसा भी उन्होंने जनकल्याण में लगा दिया।
फूलबासन दीदी ने बताया कि इस समय वह नीर-नारी योजना पर काम कर रही हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य पानी बचाना और महिलाओं को सशक्त करना है। दीदी सभी से यही निवेदन करती हैं कि अपने घर के पास तालाब बनाओ, पानी बचाओ और पेड़ लगाओ।