● ‘अंतिम क्षण तक मेरी कोशिश रहेगी टिकट खरीद कर लोग कहानी सुनने आयें’- हरीश पाठक

मुंबई।
‘कथा मन से निकलती है, फिर वह कागज पर उतरती है जैसे सागर मंथन के बाद अमृत निकला था। कथाकार स्त्री या पुरुष नहीं होता। कहानी सुंदर विधा है, वह गल्प नहीं है।आज दुनिया बदल रही है, कहानी का ढंग भी बदला है।’ यह विचार कथाकार, वरिष्ठ पत्रकार सुदर्शना द्विवेदी ने ‘सुनें कहानी 14 ‘ में व्यक्त किये। वे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही थीं।
कथाकार, पत्रकार व इस आयोजन के संयोजक हरीश पाठक ने कहा, ‘कहानी मेरी जीवन पद्धति है। वह मेरा संस्कार भी है,सरोकार भी। 2017 से शुरू हुआ यह मेरा प्रयोग आज आठवें साल में है और अब तक 48 कथाकार इससे जुड़ चुके हैं। मेरी दमित इच्छा है कि वह दिन आये जब टिकट खरीद कर लोग हिंदी कहानी सुनने आयें। अंतिम क्षण तक यह मेरी कोशिश रहेगी।’

इस मौके पर सीमा असीम की कहानी ‘गुलफिजा’ का पाठ अभिनेत्री श्रुति भट्टाचार्य ने व उसकी समीक्षा श्रीमती कमलेश पाठक ने की। उमा की कहानी ‘रियाज’ का पाठ वरिष्ठ पत्रकार प्रियम्वदा रस्तोगी ने किया। इसकी समीक्षा डॉ अंजु शर्मा ने की। मंजु श्री की कहानी ‘केयरटेकर’ का पाठ कवयित्री रेखा बब्बल ने किया व उसकी समीक्षा डॉ उषा मिश्रा ने की।
‘कथा’ व ‘एटीएफ’ (एनी टाइम फ़ूड) द्वारा आयोजित इस समारोह का संचालन डॉ रीता दास राम ने, स्वागत भाषण वरिष्ठ कथाकार अलका अग्रवाल व आभार वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल ने व्यक्त किया।
इस मौके पर फिल्मकार अशोक शेखर,भरत असर, रितेश त्रिपाठी, पवन कुमार, दिनेश लखनपाल, रेखा निगम, शिवदत्त शर्मा, डॉ हूबनाथ पांडेय, कथाकार रवींद्र कात्यायन, रमाकांत शर्मा, शेषनाथ पांडेय, राजेन्द्र शर्मा, अलका पांडेय, संपादक कमलेश गुप्ता,/प्रमोद कुश तन्हा, प्रदीप गुप्ता, पत्रकार विनोद पाठक, राजेश विक्रांत, सरताज मेहंदी, पल्लवी मेहता, प्रतिमा चौहान सहित कला, साहित्य, संस्कृति, फ़िल्म से जुड़े कई रचनाधर्मी मौजूद थे।