● ‘दीपस्तंभ’ विमोचन समारोह में बोले सुनील आम्बेकर
● मंत्री शेलार ने हिंदी विवेक के प्रयासों को सराहा

मुंबई। ‘परिवर्तन के दौर में संघर्षों का सामना करने हेतु हम समर्थ होते जा रहे हैं। समाज का एक बड़ा वर्ग अब केवल दर्शक बनकर नहीं, अपितु संघकार्य में सहभागी होना चाहता है। संघ की 100 वर्षों की यात्रा में जिन्होंने हमें सहयोग दिया, उनका हम शताब्दी वर्ष में आभार प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना है और इसके लिए स्वयं को सक्षम बनाना है। अतः शिवशक्ति की साधना एकसाथ होनी चाहिए।’ यह वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने दिया। वे हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘दीपस्तंभ’ ग्रंथ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। मुम्बई के विलेपार्ले पूर्व स्थित पंचसितारा होटल ऑर्किड के चेम्बर हॉल में इस समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार ने अपने वक्तव्य में कहा कि मंत्री होने के नाते महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मैं हिंदी विवेक के ‘दीपस्तंभ’ ग्रंथ प्रकाशन पर हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। संघ सागर की तरह विराट और अनंत है। संघ-दर्शन कराने वाला यह बहुमूल्य ग्रंथ है। 100 वर्ष के बाद भी संघ आज तरुणावस्था में है, वैचारिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है और सबसे बड़ी बात यह है कि वह अहंकार से परे है। तकनीकी युग में भी मानवता की रक्षा एवं कल्याण हेतु विश्व को संघ के पास ही आना पड़ेगा।
इस अवसर पर हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर और विवेक समूह के प्रबंध संपादक दिलीप करंबेळकर ने भी दीपस्तंभ ग्रंथ एवं हिंदी विवेक की यशस्वी यात्रा के संबंध में अपने विचार प्रकट किए।
हिंदी विवेक को अपना महत्वपूर्ण सहयोग देने वाले मान्यवरों मनोरमा झा, रामसुंदर झा, सुधीर गोयल, वीरेन्द्र याज्ञिक, संभाजी भोसले, गणेश ठाकुर और प्रशांत मानकुमरे को अतिथियों के हाथों शॉल एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। साथ ही महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के पूर्व कार्याध्यक्ष शीतलाप्रसाद दुबे को मुख्य अतिथि सुनील आम्बेकर के हाथों हिंदी विवेक के प्रथम ‘हिंदी सेवी शिक्षक’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हिंदी विवेक की कार्यकारी संपादक पल्लवी अनवेकर ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया और सभी का आभार व्यक्त किया।
