
मुंबई। सेवाभाव, समर्पण और मानवता का दिव्य उत्सव बने 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की ग्राउंड सेवाओं का शुभारंभ रविवार को हरियाणा के समालखा स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर हुआ। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने पावन कर-कमलों से इस सेवा का उद्घाटन किया। यह समागम 31 अक्तूबर से 3 नवंबर तक आयोजित होगा।
हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी सेवा की शुरुआत अत्यंत भावपूर्ण क्षणों के साथ हुई। उद्घाटन अवसर पर मिशन की कार्यकारिणी समिति, केंद्रीय सेवादल अधिकारीगण तथा हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। मुंबई और महाराष्ट्र सहित देशभर से सेवादल स्वयंसेवक और भक्तजन समालखा पहुँच रहे हैं।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि समागम मात्र एकत्रीकरण नहीं बल्कि सेवा का प्रबल भाव है। उन्होंने कहा “सभी में परमात्मा का ही रूप देखना है। सेवा करते समय किसी प्रकार का अहंकार न रखते हुए सबका सम्मान करें। निरंकार का सुमिरण करते हुए आत्ममंथन करें और मन में व्याप्त कमियों को सुधारें।”

लगभग 600 एकड़ में फैले इस स्थल पर लाखों भक्तों के लिए निवास, भोजन, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आवागमन की सभी व्यवस्थाएँ सेवा और निःस्वार्थ भाव से की जाती हैं। देश-विदेश से आए श्रद्धालु यहाँ एकत्व, समर्पण और आत्मिक आनंद का अनुभव करते हैं।
इस वर्ष का विषय “आत्म मंथन” रखा गया है, जो जीवन की दिशा पर विचार करने और आत्मज्ञान से कर्मों को शुद्ध करने की प्रेरणा देता है। पिछले 96 वर्षों से संत निरंकारी मिशन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को जीवंत करते हुए प्रेम, शांति और समरसता का संदेश दे रहा है।
मानवता का यह दिव्य उत्सव न केवल निरंकारी अनुयायियों के लिए, बल्कि हर धर्म, जाति और भाषा के मानव प्रेमियों के लिए भी है, जो यहाँ सेवा, आध्यात्मिकता और इंसानियत के अनुपम संगम का साक्षात्कार करते हैं।
