● प्रधानमंत्री मोदी ने किया नवी मुंबई एयरपोर्ट और मेट्रो लाइन-3 का उद्घाटन
● देश का पहला पूरी तरह डिजिटल और एआई-सक्षम हवाई अड्डा, मोबाइल से वाहन पार्किंग स्लॉट बुकिंग, बैगेज ट्रैकिंग, ऑनलाइन इमीग्रेशन

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल 8 अक्तूबर को मुंबई की परिवहन व्यवस्था को नई दिशा देने वाले दो बड़े प्रोजेक्ट्स नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (NMIA) और मुंबई मेट्रो लाइन-3 (चरण 2बी) का शुभारंभ किया। इन परियोजनाओं पर कुल मिलाकर ₹37,000 करोड़ से अधिक की लागत आई है। यह दिन भारत की वित्तीय राजधानी के बुनियादी ढांचे के विकास में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में दर्ज हो गया।

देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट
करीब ₹19,650 करोड़ की लागत से तैयार नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट प्रोजेक्ट है। इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर विकसित किया गया है, जिसमें अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड और सिडको की साझेदारी है।
यह एयरपोर्ट पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन, सौर ऊर्जा उत्पादन और वर्षा जल संचयन प्रणाली से सुसज्जित है। पहले चरण में यह प्रति वर्ष दो करोड़ यात्रियों की क्षमता वाला होगा, जिसे बाद में नौ करोड़ यात्रियों तक बढ़ाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एयरपोर्ट पश्चिम भारत के आर्थिक विकास का नया द्वार बनेगा और हजारों रोजगार के अवसर सृजित करेगा।

मेट्रो लाइन-3: मुंबई की नई जीवनरेखा
प्रधानमंत्री ने साथ ही मुंबई मेट्रो लाइन-3 (एक्वा लाइन) के चरण 2बी को राष्ट्र को समर्पित किया। यह लाइन आचार्य अत्रे चौक से कफ परेड तक फैली है और इस पर लगभग ₹12,200 करोड़ की लागत आई है। यह मुंबई की पहली पूरी तरह भूमिगत मेट्रो लाइन है, जो उत्तर-दक्षिण दिशा में तेज, स्वच्छ और सुरक्षित परिवहन सुविधा प्रदान करेगी। अत्याधुनिक सिग्नलिंग, ऊर्जा-दक्ष ट्रेनें और ध्वनि-नियंत्रण तकनीक इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। मेट्रो लाइन-3 के शुरू होने से सड़कों पर वाहनों का दबाव घटेगा और शहरवासियों को ट्रैफिक जाम से बड़ी राहत मिलेगी।
आधुनिक भारत की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन परियोजनाओं से मुंबई ही नहीं, पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की नई गति आई है। उनका लक्ष्य आने वाले वर्षों में भारत के हर बड़े शहर को मल्टीमोडल कनेक्टिविटी से जोड़ना है। नवी मुंबई एयरपोर्ट और मेट्रो लाइन-3 दोनों ही परियोजनाएं भारत की तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता की प्रतीक हैं।
इनसे मुंबई की अंतरराष्ट्रीय पहचान एक विश्वस्तरीय स्मार्ट सिटी के रूप में अधिक सशक्त होगी।
