
● मुंबई।
पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल ने बांद्रा टर्मिनस डिपो में 100 किलो लीटर प्रतिदिन (केएलडी) क्षमता वाला एक अत्याधुनिक एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) स्थापित किया है। यह पहल भारतीय रेल के पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के संकल्प को सशक्त करती है। यह संयंत्र वॉशिंग लाइनों और डिपो गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट जल के प्रभावी उपचार पर केंद्रित है, जिससे उसके निर्वहन या पुनः उपयोग से पूर्व अपशिष्ट का जिम्मेदार और पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह संयंत्र हर महीने 12 लाख लीटर से अधिक अपशिष्ट जल का उपचार करता है और उसे गैर-पेय प्रयोजनों जैसे- कोच धुलाई, प्लेटफॉर्मों और परिसंचरण क्षेत्रों की सफाई, बागवानी और रखरखाव गतिविधियों के लिए उपयुक्त उपचारित जल में परिवर्तित करता है। इस पहल से मीठे पानी की खपत कम होती है, जिससे जल संरक्षण और संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा मिलता है।
इस अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की स्थापना, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और राष्ट्रीय स्वच्छता एवं स्थिरता लक्ष्यों के अनुपालन के प्रति पश्चिम रेलवे की सक्रिय प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्नत उपचार तकनीकों को पर्यावरण-संवेदी परिचालन प्रक्रियाओं के साथ एकीकृत करते हुए, पश्चिम रेलवे यह दर्शाती है कि अवसंरचना विकास और पर्यावरणीय दायित्व किस प्रकार संतुलित रूप से आगे बढ़ सकते हैं, जिससे एक स्वच्छ, हरित और अधिक स्थायी रेलवे नेटवर्क का निर्माण संभव हो पाता है।
