
● मुंबई।
मोबाइल का अधिक इस्तेमाल न सिर्फ फिजिकल बल्कि मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा रहा है, फिर भी बच्चे दिन का बड़ा हिस्सा फोन की स्क्रीन पर बिताते हैं। पेरेंट्स अक्सर बच्चों को चुप कराने या खाना खिलाने के लिए खुद ही मोबाइल थमा देते हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स, कोल्लम की एक नई स्टडी के अनुसार, 89.1 प्रतिशत बच्चे रोजाना किसी न किसी रूप में मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताते हैं।
जिन माओं ने सिर्फ हाई स्कूल तक पढ़ाई की, उनके बच्चों में 100 प्रतिशत स्क्रीन टाइम देखा गया। 12वीं पास माओं के बच्चों में यह 89 प्रतिशत, डिप्लोमा या डिग्री धारक माओं के बच्चों में 91 प्रतिशत, जबकि पोस्टग्रेजुएट माओं के बच्चों में यह आंकड़ा घटकर 80 प्रतिशत रह गया।
● कब मिलता है बच्चों को फोन?
- 69 प्रतिशत पेरेंट्स बच्चों को खाना खिलाते समय मोबाइल देते हैं।
- 50 प्रतिशत बच्चे अपने भाई-बहनों की नकल में फोन चलाने लगते हैं।
- गरीब परिवारों के बच्चों में स्क्रीन टाइम कम पाया गया क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन नहीं थे।
- संयुक्त परिवारों के बच्चों में स्क्रीन टाइम 91 प्रतिशत जबकि एकल परिवारों में 78 प्रतिशत पाया गया।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 18 महीने से छोटे बच्चों को बिल्कुल भी स्क्रीन टाइम नहीं देना चाहिए। 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए अधिकतम 30 मिनट का सीमित स्क्रीन टाइम ही सुरक्षित माना गया है, क्योंकि मोबाइल बच्चों का मनोरंजन नहीं बल्कि उनकी मानसिक वृद्धि के लिए खतरा बनता जा रहा है।
