● एक वन्यजीव फोटोग्राफर की अनोखी पहल से सौ से अधिक तालाब बने

● जयपुर।
पश्चिमी राजस्थान के थार क्षेत्र में वन्यजीव फोटोग्राफर श्रवण पटेल की पहल ने सूखे रेगिस्तान में नई उम्मीद जगा दी है। करीब छह वर्ष पहले उन्होंने अपने गाँव के सूखते तालाबों में प्यास से तड़पते पक्षियों और हिरणों को देखा। यही दृश्य उनके भीतर परिवर्तन का कारण बना।
पटेल ने सोशल मीडिया पर ऐसे हालात की तस्वीरें साझा कीं, जो वायरल हो गईं। इसके बाद उन्होंने गाँववालों और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर छोटे-छोटे ‘खैली’ यानी जलाशय बनाने की शुरुआत की। पहला तालाब हाथों से खोदा गया और बरसात में जब उसमें पानी भरा तो काले हिरणों का झुंड वहाँ पानी पीने आया।

इस पहल ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया। अब तक बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, बालोतरा सहित सात ज़िलों में 100 से अधिक तालाब बन चुके हैं, जहाँ अब वन्यजीव फिर से लौटने लगे हैं।
पटेल बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान की जैव-विविधता का आधार ‘ओरण भूमि’ है, जो वर्षाजल संचयन और जीवों के आश्रय की परंपरागत जगहें हैं। पर इन पर विदेशी प्रजाति ‘जूली फ्लोरा’ (Prosopis juliflora) का संकट बढ़ गया है। उनकी टीम अब इस झाड़ी को हटाकर स्थानीय घासों को पुनर्जीवित कर रही है।
थार की तपती रेत में यह पहल केवल जल संरक्षण का नहीं बल्कि जीवन संरक्षण का प्रतीक बन गई है।
साभार: आउटलुक ट्रैवलर
