■ स्मरण दिवस पर शिद्दत से याद किए गए कॉमरेड सुरेश भट्ट

● मुंबई।
“जीवन की विकट और विषम परिस्थितियों में भी कॉमरेड सुरेश भट्ट ने अपनी राजनीतिक विचारधारा का साथ नहीं छोड़ा। वे ताउम्र वामपंथी रहे और आमजन की लड़ाई, मानवाधिकारों की रक्षा पूरी ईमानदारी से करते रहे। चट्टानी संकल्प और बागी सोच ने उन्हें परिवार से भले ही दूर कर दिया, पर वे समाज के जागरूक सिपाही बनकर जीवनभर डटे रहे, तकलीफों के बावजूद। बहुत मुश्किल होता है, ज़िंदगी भर किसी प्रतिबद्ध राजनीतिक विचारधारा के साथ जीना।” यह विचार कथाकार और पत्रकार हरीश पाठक ने ‘तेरहवीं कॉमरेड सुरेश भट्ट स्मृति व्याख्यानमाला’ में व्यक्त किए। वे कार्यक्रम के अध्यक्ष थे।

अभिनेत्री-कवयित्री तथा सुरेश भट्ट की पुत्री असीमा भट्ट के संयोजन में कॉमरेड सुरेश भट्ट फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह की शुरुआत अस्मिता थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने शैलेन्द्र के लिखे जनगीत से की। इसके बाद सुरेश भट्ट के जीवन और संघर्ष पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री प्रदर्शित की गई।
कार्यक्रम कई सत्रों में विभाजित था, जिसमें अंशपाठ वीणा मेहता ने किया। गायन डॉ. शैलेश श्रीवास्तव और सत्यम आनंद ने प्रस्तुत किया, जबकि काव्यपाठ दीप्ति मिश्र, मालती जोशी फाजली और अजय रोहिल्ला ने किया।

लेखिका-निर्देशक सीमा कपूर ने कहा, “सुरेश जी के बारे में सुनकर मुझे अपना अतीत याद आ गया। मैं भी कभी लाल झंडा लेकर चलती थी। अच्छा लगा कि आज उनकी बेटी उनकी याद को अक्षुण्ण बनाए हुए है।”
डॉ. भाग्यश्री वर्मा ने ‘कॉमरेड’ शब्द की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए एक मार्मिक कविता के माध्यम से सुरेश भट्ट की जीवन-यात्रा को रेखांकित किया। अभिनेता-कवि विष्णु शर्मा के काव्यपाठ से समारोह का समापन हुआ। संचालन कवि देवमणि पांडेय ने किया तथा आयोजन का सान्निध्य अरविंद गौड़ का था।
खचाखच भरे सभागार में अभिनेता सुशांत सिंह, कॉमरेड सुबोध मोरे, डॉ. राम बख्श, श्रीमती कमलेश पाठक, डॉ. मधुबाला शुक्ल, डॉ. अनिल गौर, अर्चना जौहरी, रजिया रागिनी, प्रदीप गुप्ता, कमर हजीपुरी, नीलांजना किशोर सहित कला, साहित्य, संस्कृति, फिल्म और रंगमंच की अनेक प्रतिष्ठित हस्तियाँ उपस्थित थीं।
