भारत में कोरोना मरीजों को लेकर भय का माहौल जरूर है लेकिन फिलहाल डरने की जरूरत नहीं है बल्कि संभलने की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल देश में कोरोना के 257 एक्टिव केस हैं। महामारी की शुरुआत से अब तक 45 करोड़ से अधिक लोग संक्रमण का शिकार हुए हैं, जिसमें से 5.33 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। कोरोना से बचाव के लिए अब तक 220 करोड़ (दो-तीन डोज सहित) लोगों का टीकाकरण हो चुका है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, चूंकि कई एशियाई देश इन दिनों फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर अलर्ट पर हैं, ऐसे में भारत में भी विशेष निगरानी रखी जा रही है। हालांकि यहां संक्रमण के मामलों में विशेष उछाल की खबर नहीं है। समय के साथ लोगों के शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा कमजोर हो रही है और वायरस लगातार हम लोगों के बीच है, इसलिए फिर से इसके बढ़ने की खबरें आ रही हैं।

सिंगापुर-हांगकांग में बढ़ते मामलों की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां मुख्यरूप से LP.8.1 वैरिएंट के कारण लोग संक्रमित हो रहे हैं, ये ओमिक्रॉन का ही एक रूप है। ओमिक्रॉन और इसके कई सब-वैरिएंट्स ही पिछले दो साल से दुनियाभर में फैलते रहे हैं।
यूएस स्थित नेबरास्क मेडिसिन में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ मार्क.ई.रप बताते हैं ताजा मामलों में उछाल के लिए किसी नए वैरिएंट को जिम्मेदार नहीं पाया गया है। ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स ही अलग-अलग देशों में संक्रमण के मामलों के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि LP.8.1 के साथ वर्तमान में, LF.7 और NB.1.8 (दोनों JN.1 वैरिएंट का म्यूटेटेड स्वरूप) को प्रमुखता के साथ देखा जा रहा है जो दो-तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट JN.1 को ही ध्यान में रखते हुए कोविड के अपडेटेड वैक्सीन बनाए जा रहे हैं जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से बूस्ट करके लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा दी जा सके।