
न्यूयार्क।
किडनी स्टोन का बड़ा कारण है ऑक्सलेट, जो भोजन से बनता है और मूत्र के जरिए बाहर निकलता है। इसकी अधिकता से दर्दनाक पथरी बनने लगती है। अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक नया तरीका खोजा है – आंतों के बैक्टीरिया को जीन इंजीनियरिंग से ऐसा बनाना कि वे ऑक्सलेट को तोड़ दें।
शोधकर्ताओं ने फ़ोसेईकोला वलगटस नामक सामान्य आंत बैक्टीरिया को बदला और उसमें ऐसी क्षमता डाली कि वह ऑक्सलेट को नष्ट कर सके। इसे खास बनाता है इसका “कंट्रोल मैकेनिज्म” – यह बैक्टीरिया केवल porphyran नामक समुद्री शैवाल से बनी शुगर मिलने पर ही जीवित रहता है, यानी डॉक्टर इसकी सक्रियता को नियंत्रित कर सकते हैं।
प्रारंभिक मानव परीक्षणों में पाया गया कि इस बैक्टीरिया को लेने से मूत्र में ऑक्सलेट का स्तर कुछ कम हुआ, जिससे पथरी बनने का खतरा घट सकता है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी सामने आईं। कुछ बैक्टीरिया ने म्यूटेशन कर लिया और शुगर के बिना भी जीवित रहे, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उठीं।
फिर भी, यह प्रयोग जीवित दवा की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। भविष्य में यदि यह तकनीक और सुरक्षित तथा असरदार साबित होती है तो यह किडनी स्टोन जैसी आम बीमारी के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
स्रोत: • PubMed – Engineered gut bacterium enables oxalate degradation in humans (2025) • Medical Xpress – Genetically engineered gut bacteria show promise against kidney stones (July 2025) • ABC News – Modified bacteria tested in humans to tackle kidney stones (July 2025)