● सूर्यकांत उपाध्याय

एक दिन रोशनपुर के राजा एक महान विद्वान से मिलने आए। राजा ने विद्वान से पूछा, ‘क्या इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति है, जो बहुत महान हो लेकिन जिसे दुनिया वाले न जानते हों?’
विद्वान ने विनम्र मुस्कान के साथ उत्तर दिया, ‘महाराज, हम दुनिया के अधिकांश महान लोगों को नहीं जानते। इस संसार में ऐसे कई लोग हैं, जो महान कहे जाने वालों से भी कहीं अधिक महान हैं।’
राजा ने आश्चर्य से पूछा, ‘यह कैसे संभव है?’
विद्वान ने कहा, ‘मैं आपको ऐसे कई व्यक्तियों से मिलवाऊँगा।’
इतना कहकर विद्वान राजा को लेकर गाँव की ओर चल पड़े। रास्ते में, पेड़ के नीचे बैठे एक बुज़ुर्ग से उनकी भेंट हुई। बुज़ुर्ग के पास एक पानी का घड़ा और कुछ रोटियाँ थीं। विद्वान और राजा ने उनसे रोटियाँ और पानी लिया।
जब राजा ने उस बुज़ुर्ग को रोटियों का मूल्य देना चाहा तो वह मुस्कराते हुए बोला, ‘महाराज, मैं कोई दुकानदार नहीं हूँ। मेरा बेटा रोटियों का व्यापार करता है। मेरा घर में मन नहीं लगता इसलिए मैं राहगीरों को ठंडा पानी पिलाने और रोटियाँ खिलाने आ जाता हूँ। यही मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है।’
विद्वान ने राजा से कहा, ‘देखिए राजन्, इस बुज़ुर्ग की यह निःस्वार्थ भावना ही इसे महान बनाती है।’
फिर दोनों गाँव में पहुँचे। वहाँ उन्हें एक स्कूल दिखाई दिया। उन्होंने भीतर जाकर एक शिक्षक से मुलाकात की। राजा ने पूछा, ‘आप इतने बच्चों को पढ़ाते हैं, इसके बदले आपको कितना वेतन मिलता है?’
शिक्षक ने विनम्रता से उत्तर दिया, ‘महाराज, मैं वेतन के लिए नहीं पढ़ा रहा। यहाँ कोई शिक्षक नहीं था और बच्चों का भविष्य अधर में था, इसलिए मैं उन्हें निःशुल्क पढ़ाने आता हूँ।’
विद्वान ने राजा से कहा, ‘महाराज, दूसरों के लिए जीने वाला व्यक्ति ही सच्चा महान होता है। और इस दुनिया में ऐसे अनेकों लोग हैं जिनकी सोच उन्हें महान से भी बड़ा महान बना देती है।’
इसलिए राजन्, अच्छी सोच ही आदमी की किस्मत तय करती है। सदा उत्तम विचार रखें, श्रेष्ठ कार्य करें और महान बनें। आदमी बड़ी-बड़ी बातों से नहीं, बल्कि अपनी अच्छी सोच और नेक कर्मों से महान कहलाता है।
शिक्षा: जीवन में सफलता और उपलब्धि प्राप्त करने के लिए बड़ी-बड़ी बातों को नहीं बल्कि अच्छी सोच को महत्व देना चाहिए। क्योंकि आपकी सोच ही आपके कार्य को दिशा देती है और वही आपको महान बनाती है।
