चिड़ियों की चहचहाहट का मामला पहुंचा कोर्ट

हेलसिंकी। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में एक अनोखा मामला सामने आया, जिसमें एक निवासी ने गौरैयों की चहचहाहट से परेशान होकर उनके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। व्यक्ति का कहना था कि उसके घर के पास बसे गौरैयों के झुंड की लगातार चहचहाहट से वह मानसिक तनाव में आ गया है। उसने प्रशासन से पक्षियों के घोंसले हटाने की मांग की और दावा किया कि गौरैया हानिकारक हैं, जो न तो किसी सीमा का पालन करती हैं और न ही चैन से जीने देती हैं।
यह मामला स्थानीय प्रशासन के बाद एक प्रशासनिक अदालत में पहुंचा। सुनवाई के दौरान अदालत ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि गौरैया या अन्य पक्षियों की आवाज इंसानी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि पक्षी किसी भी शहरी पर्यावरण का सामान्य और जरूरी हिस्सा हैं।
इस मामले पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी रोचक है। हेलसिंकी टाइम्स की रिपोर्ट और अन्य अध्ययनों के अनुसार पक्षियों की चहचहाहट न केवल हानिकारक नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में 2022 में छपे एक अध्ययन के मुताबिक, रोजमर्रा की जिंदगी में चिड़ियों की आवाज सुनना मन को शांत करता है और मानसिक तंदुरुस्ती में सुधार करता है।
‘नेशनल जियोग्रैफिक’ के मुताबिक भी विशेषज्ञ मानते हैं कि पक्षियों का गीत मनुष्य को एक सुरक्षित वातावरण का एहसास कराता है और अवसाद व घबराहट जैसे लक्षणों को कम करता है। गौरैयों और अन्य पक्षियों का कलरव सदियों से कवियों, संगीतकारों और चित्रकारों को प्रेरणा देता आया है।