● छींक रोकना हो सकता है खतरनाक

छींक शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए नाक में आए धूलकण, परागकण, जीवाणु या अन्य उत्तेजक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति छींक को ज़बरदस्ती रोकता है (नाक या मुंह बंद करके दबा लेता है) तो इससे कई तरह की हानियाँ हो सकती है।
छींक रोकने के नुकसान
- कान पर दबाव – छींक रोकने से नाक और कान को जोड़ने वाली यूस्टेशियन ट्यूब पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे कान में दर्द, दबाव या अस्थायी सुनाई कम होना जैसी समस्या हो सकती है।
- नाक व साइनस को नुकसान – दबाव उल्टा जाकर साइनस कैविटी में चोट पहुँचा सकता है, जिससे सूजन या संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
- आंखों और रक्त वाहिकाओं पर असर – छींक रोकने पर अचानक दबाव से आँखों की रक्त वाहिकाएँ फट सकती हैं, लालिमा और जलन हो सकती है।
- मस्तिष्क और हृदय पर दबाव – दुर्लभ मामलों में छींक रोकने से अत्यधिक दबाव के कारण ब्रेन हैमरेज या हार्ट की धड़कन की गड़बड़ी जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है।
- गले को चोट – कभी-कभी गले की ऊतक (throat tissue) फटने की घटनाएँ भी दर्ज हुई हैं, जिससे निगलने और बोलने में कठिनाई हो सकती है।इसलिए छींक को रोकना नहीं चाहिए।
अगर सार्वजनिक स्थान पर हैं तो रूमाल या टिश्यू का प्रयोग करें या कोहनी के मोड़ में छींकें ताकि दूसरों को संक्रमण न फैले।
