
● मुंबई । अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मानस मुक्ता रामकथा वाचिका यशुमति जी ने विलेपार्ले (पूर्व) स्थित संन्यास आश्रम में रामकथा के पंचम सत्र में रामकथा को साक्षात देवी कालिका का स्वरूप बताते हुए कहा कि यह जीवन के महामोह रूपी महिषासुर का मर्दन कर देती है।
मानस मुक्ता ने भगवान राम के वनवास प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शंकर ने लोककल्याण हेतु विषपान कर अपने कंठ को नीला करके नीलकंठ का स्वरूप धारण किया, परंतु माता कैकेयी ने भगवान राम के चरित्र को उज्ज्वल बनाने के लिए अपने जीवन को स्याह कर लिया, जिसे त्रेता से आज तक कोई उज्ज्वल नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी का संबंध अटूट होता है, जिन्हें एक-दूसरे से कभी अलग नहीं किया जा सकता।
सेवक का कार्य सबसे कठिन होता है। लोग भाषण देकर समाजसेवक और देशसेवक तो बन जाते हैं, किंतु वास्तविक सेवा कितनी हो रही है यह विचारणीय है।
मानस मुक्ता ने गंगा को धर्म की धारा बताते हुए कहा कि धर्म के तट पर आकर भगवान भी याचक बन जाते हैं, इसलिए भगवान को केवट से माँगना पड़ा। इस प्रसंग का दूसरा पक्ष यह था कि हमारे बिखरे समाज को एकत्र कर मुख्यधारा में लाकर राष्ट्र की एकता को मजबूत किया जाए।
उन्होंने चिंता और अवसाद जैसी बीमारियों पर भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इसका मुख्य कारण यह है कि आजकल लोग हँसना-मुस्कुराना भूल गए हैं और आपसी मेलजोल से दूरी बना ली है। पहले हमारे समाज में महिलाएं धनार्जन के लिए बाहर नहीं जाती थीं, ऐसे में परिवार उनके लिए स्वर्ण आभूषण बनवाता था, जिन पर केवल स्त्रियों का अधिकार होता था।
मानस मुक्ता ने केवट प्रसंग को पूर्ण कर पंचम सत्र को विश्राम दिया।
संत गोपी और संत लक्ष्मी के पावन सान्निध्य में श्रोताओं के साथ सुप्रसिद्ध समाजसेवी सद्गुरु फाउंडेशन ट्रस्ट के चेयरमैन गणेश अग्रवाल, ममता गणेश अग्रवाल, राजेश पोद्दार, अंशुल वर्मा, भारती बेन, भूमिका वर्मा, अनुसूया, कैलाश शर्मा, राजेश सिंह, विजय सिंह, सचिन, सौम्या सिंह, भजन गायिका सरला मीरचंदानी, मंजू शुक्ला तथा हम रामजी के, रामजी हमारे हैं सेवा ट्रस्ट मुंबई के सहसचिव दिनेश प्रताप सिंह ने भी कथा श्रवण का लाभ लिया।
यह रामकथा सद्गुरु नारायण महाप्रभु मंडल द्वारा प्रतिदिन सायं 5 से 7 बजे तक आयोजित की गई है, जो 1 अक्टूबर तक चलेगी।
