● आत्मनिर्भर भारत की उड़ान

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने वायुसेना को 97 तेजस लड़ाकू विमान देने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 62,370 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है। रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच हुआ यह करार वायुसेना को नई ऊर्जा देने वाला माना जा रहा है।
इस सौदे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सुरक्षा समिति से मंजूरी मिलने के एक महीने बाद अंतिम रूप दिया गया। इससे पहले, फरवरी 2021 में सरकार ने 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था। अब यह दूसरा बड़ा अनुबंध है जिसने ‘मेक इन इंडिया’ की दिशा में रक्षा क्षेत्र में नई छलांग लगाई है।
तेजस एमके-1ए विमानों में ‘स्वयम रक्षा कवच’ और आधुनिक कंट्रोल एक्ट्यूएटर्स जैसी उन्नत तकनीक शामिल होगी। इन विमानों में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी पुर्जे होंगे और 67 नए भारतीय उपकरण जोड़े जाएंगे। यह पहल देश की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण को मजबूती देगी।
2027-28 से इन विमानों की आपूर्ति शुरू होगी। सिंगल-इंजन वाले तेजस, भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके मिग-21 बेड़े की जगह लेंगे। वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि अधिकृत संख्या 42 स्क्वाड्रन की है। ऐसे में तेजस का जुड़ना न केवल स्क्वाड्रन की कमी पूरी करेगा बल्कि वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता को भी कई गुना बढ़ा देगा।
रणनीतिक दृष्टि से यह सौदा भारत के लिए बेहद अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस का यह नया बेड़ा आने वाले वर्षों में वायुसेना के लिए गेमचेंजर साबित होगा और साथ ही भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नया बल देगा।
