● जयंती विशेष

वीरांगना रानी दुर्गावती का जीवन आज भी साहस और नारी शक्ति की प्रेरणा है। उनका जन्म 5 अक्तूबर 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर किले में दुर्गा अष्टमी के दिन हुआ। पिता कीर्ति सिंह चंदेल ने उन्हें बचपन से ही युद्ध कौशल की शिक्षा दिलाई। तलवारबाजी, तीरंदाजी और घुड़सवारी में वह निपुण थीं।
रानी दुर्गावती का विवाह गोंड राजा दलपत शाह से हुआ। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने गोंडवाना (वर्तमान जबलपुर केंद्र) का शासन अपने हाथ में लिया और 16 वर्षों तक राज किया। 1556 में मालवा के सुल्तान बाज बहादुर और बाद में मुगलों के हमलों के समय उन्होंने अदम्य साहस दिखाया और कई बार शत्रुओं को पराजित किया।
1564 में आसफ खान के हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद रानी ने दुश्मन के हाथों गिरने के बजाय 24 जून 1564 को स्वयं को बलिदान कर दिया। रानी दुर्गावती का जीवन राष्ट्रभक्ति, पराक्रम और नारी शक्ति का अनूठा उदाहरण है।

बहुत आभार इस प्रेरक प्रसंग के लिए