● सुहागिनों का सबसे पावन पर्व, निर्जला उपवास और चंद्रदर्शन से पूर्ण होता है करवा चौथ व्रत

करवा चौथ का पावन व्रत इस वर्ष शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। अमान्त पंचांग के अनुसार जिसका पालन महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में किया जाता है, यह तिथि आश्विन माह में पड़ती है। यद्यपि माह का नाम अलग-अलग है, लेकिन पूरे देश में यह पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा।
करवा चौथ का दिन संकष्टी चतुर्थी के साथ पड़ता है, जो भगवान गणेश की उपासना का दिन माना जाता है। करवा चौथ की पूजा करनेवाली विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं। यह व्रत निर्जला उपवास का प्रतीक है। महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात्रि में चंद्रमा के दर्शन तक अन्न-जल का त्याग करती हैं।
पूजन के समय महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की आराधना करती हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है। ‘करवा’ या ‘करक’ मिट्टी का पात्र होता है, जिससे चंद्रमा को जल अर्पण (अर्घ) किया जाता है। इस करवे को बाद में दानस्वरूप किसी ब्राह्मण या सुहागन महिला को अर्पित किया जाता है।

करवा चौथ विशेष रूप से उत्तर भारत में अत्यंत लोकप्रिय है जबकि दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में इसी दिन वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जाता है। महाराष्ट्र में श्रद्धालु भगवान गणेश के वक्रतुण्ड स्वरूप, जो अष्टविनायक में प्रथम हैं, की पूजा करते हैं। करवा चौथ के चार दिन बाद अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है, जो पुत्रों की दीर्घायु के लिए समर्पित होता है।
■ करवा चौथ 2025 का मुहूर्त और चंद्रोदय समय
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्तूबर, रात 10:54 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्तूबर, शाम 7:38 बजे
- पूजा मुहूर्त: शाम 6:19 बजे से 7:33 बजे तक
- व्रत समय: सुबह 6:31 बजे से रात 8:53 बजे तक
- चंद्रोदय: रात 8:53 बजे
