● नानावटी कॉलेज में आयोजित हुआ मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान का 7वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

मुंबई। “बहुत प्राचीन है हिंदी पत्रकारिता की आदि परंपरा। पौराणिक आख्यानों में नारद जी को आदि संपादक माना गया है। वे देवताओं, असुरों और मनुष्यों के बीच विचरण करते थे तथा एक-दूसरे की खबरों को सत्यता और निर्भीकता के साथ बताते थे। इसी तरह महाभारत के संजय पहले युद्ध संवाददाता थे। वे अंधे राजा धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल बताते थे, सच-सच, जस का तस। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी।” यह विचार कथाकार और पत्रकार हरीश पाठक ने व्यक्त किए। पाठक मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय तथा भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में, इंडोनेशिया के आईजीबी सुग्रीव स्टेट हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित सातवें अंतरराष्ट्रीय मानविकी और सामाजिक विज्ञान सम्मेलन के द्विवसीय आयोजन के पहले दिन, पहले सत्र में “हिंदी पत्रकारिता की आदि परंपरा” विषय पर व्याख्यान में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, “नारद जी और संजय की पत्रकारिता सच, तथ्यों और निर्भीकता पर टिकी पत्रकारिता थी। आज हिंदी पत्रकारिता पर साख का संकट है। प्रसार और प्रचार में वह बहुत आगे है, परंतु उसका प्रभाव कम होता जा रहा है।”

लेखक डॉ. राजगोपाल वर्मा ने “स्वतंत्रता संग्राम की भुला दी गई नायिकाएँ” विषय पर अपने विचार रखे। इस सत्र की अध्यक्षता मेहर मिस्त्री ने की और आभार ट्विंकल सांघवी ने व्यक्त किया।
महाविद्यालय की संस्थापक एवं प्रथम प्राचार्या स्वर्गीय मणि कामरेकर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में यह कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। इसमें देश-विदेश के शिक्षाविदों, विद्वानों, पत्रकारों और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें इंडोनेशिया के पद्मश्री डॉ. अगुस इंद्रा उदयाना भी शामिल थे।
आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. ओमजी उपाध्याय, विशिष्ट अतिथि अभिनेता समीर धर्माधिकारी थे। पुनीत मिश्र (बैंक ऑफ बड़ौदा) और डॉ. प्रमोद पांडेय (दिल्ली) ने अलग-अलग सत्रों में अपने विचार रखे। डॉ. रवींद्र कात्यायन ने संयोजन किया तथा प्राचार्या डॉ. राजश्री त्रिवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया।
