● …जब पत्थर युग में गूंजा संगीत, मनुष्य की पहली धुन

◆ बर्लिन । लगभग 40,000 वर्ष पहले, जब मानव सभ्यता की नींव भी नहीं पड़ी थी, तब भी मनुष्य के हृदय में संगीत का स्वर गूंजता था। इसका प्रमाण जर्मनी की होल्हे फेल्स गुफा में मिली एक अद्भुत खोज से मिलता है, गिद्ध की हड्डी से बनी एक प्राचीन बांसुरी, जिसे अब तक का सबसे पुराना ज्ञात संगीत वाद्य यंत्र माना गया है।
पुरातत्वविदों ने इस बांसुरी को बारीकी से अध्ययन कर बताया कि इसे अत्यंत सावधानी से बनाया गया था। इसमें पांच फिंगर-होल्स (छिद्र) और एक छोर पर ‘V’ आकार की नोक है, जिससे ध्वनि उत्पन्न की जाती थी। यह बाँसुरी ग्रिफॉन गिद्ध के पंख की हड्डी से तैयार की गई थी और इसकी सतह को अत्यंत सुंदरता से घिसकर चमकदार बनाया गया था।
रेडियोकार्बन परीक्षणों से ज्ञात हुआ कि यह बाँसुरी 35,000 से 40,000 वर्ष पुरानी है। यह समय मानव विकास के उस काल का है, जिसे ऑरिग्नेसियन संस्कृति कहा जाता है, जब आधुनिक मानव यूरोप में फैले और कला, संगीत व आध्यात्मिकता की नई चेतना का उदय हुआ।
यह खोज यह प्रमाणित करती है कि हिमयुग के मनुष्य केवल शिकारी या जीवित रहने वाले प्राणी नहीं थे बल्कि वे संवेदनशील कलाकार भी थे, जिनके भीतर संगीत, रचनात्मकता और भावना की गहराई थी। बांसुरी का यह रूप न केवल तकनीकी कौशल का प्रतीक है बल्कि यह भी दिखाता है कि संगीत मानव अस्तित्व का जन्मजात हिस्सा है, जो हमारी आत्मा को आरंभ से ही जोड़ता आया है।
स्रोत • University of Tübingen Archaeology Report (Hohle Fels Cave, Germany) •Science Daily, June 2009 •Science News Archives on Ice Age Music Discovery
