◆ मनुष्य का मस्तिष्क नकारात्मक अनुभवों को अधिक देर तक याद रखता है, शोध में दावा

● नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने पाया है कि मानव मस्तिष्क नकारात्मक या पीड़ादायक अनुभवों को सकारात्मक घटनाओं की तुलना में कहीं अधिक गहराई से और लंबे समय तक (लगभग 20 साल) याद रखता है। मनोविज्ञान में इसे ‘नेगेटिविटी बायस’ कहा जाता है।
अनुसंधान बताते हैं कि जब हम किसी अप्रिय या आहत करने वाले अनुभव से गुजरते हैं तो मस्तिष्क के अमिगडाला और हिप्पोकैम्पस जैसे हिस्से अधिक सक्रिय हो जाते हैं। ये क्षेत्र भावनाओं और स्मृति के निर्माण से जुड़े हैं, जिससे नकारात्मक अनुभव हमारी चेतना में गहरी छाप छोड़ जाते हैं। इसके विपरीत, प्रशंसा या सकारात्मक शब्द अक्सर कुछ समय बाद धुंधले पड़ जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रवृत्ति मानव विकास की देन है। प्राचीन समय में यह प्रवृत्ति मनुष्य को खतरों से सावधान रहने और जीवित रहने में मदद करती थी। किंतु आज के समय में यही स्वभाव चिंता, असुरक्षा और आत्म-संदेह का कारण बन सकता है।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सचेतनता, कृतज्ञता और सकारात्मक प्रोत्साहन जैसी साधनाएं मस्तिष्क को पुनः प्रशिक्षित कर सकती हैं। इन अभ्यासों से व्यक्ति अपनी चेतना को सकारात्मक अनुभवों पर केंद्रित करना सीख सकता है और दयालुता या प्रसन्नता जैसी भावनाओं को उतनी ही गहराई से स्मरण में रख सकता है, जितनी गहराई से वह कभी पीड़ा को याद रखता था।
स्रोत: (1) PubMed (NIH) (2) Frontiers in Psychology
