● नहाय-खाय से शुभ शुरुआत, सोमवार को डूबते और मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण

मुंबई।
सूर्य उपासना का लोक महापर्व डाला छठ आज-शनिवार से नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। यह पर्व सूर्य देव जो समस्त सृष्टि के ऊर्जा स्रोत माने गए हैं, की आराधना का अद्भुत उत्सव है।
पहले दिन व्रती महिलाएं स्नान कर पूर्ण शुद्धता के साथ प्रसाद तैयार करेंगी और सायंकाल लौकी, चावल, चने की दाल, सेंधा नमक, घी और रोटी का भोजन कर अगले दिन खरना के साथ 36 घंटे के निर्जल व्रत का संकल्प लेंगी।
तीसरे दिन, सोमवार को, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। इस अवसर पर नदियों, तालाबों और सरोवरों के घाटों पर आस्था का सागर उमड़ पड़ेगा। चौथे दिन, मंगलवार की सुबह, उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ व्रत का पारण होगा।
यह चतुर्दिवसीय पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होकर अगले चार दिनों तक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। संतान सुख, संतान की दीर्घायु और कल्याण की कामना से किया जाने वाला यह व्रत लोक आस्था का अनुपम उदाहरण है।

व्रती परिवार विधिवत सफाई के बाद स्नान कर प्रसाद निर्माण में जुटे हैं। छठ प्रसाद में ठेकुआ, मीठी पूड़ी, खाजा, पकौड़ी प्रमुख रूप से बनाए जाते हैं। सायंकाल व्रती बिना प्याज-लहसुन का सादा भोजन करती हैं और भूमि पर शयन करती हैं। माना जाता है कि यह सात्त्विक भोजन शरीर को शुद्ध करता है और 36 घंटे के निर्जल उपवास के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
चार दिवसीय पर्व की तिथियां
25 अक्तूबर (शनिवार) – नहाय-खाय
26 अक्तूबर (रविवार) – खरना
27 अक्तूबर (सोमवार) – अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
28 अक्तूबर (मंगलवार) – उदयमान सूर्य को अर्घ्य एवं व्रत पारण
