
■ अभय मिश्र
राजनीति में शब्द अक्सर तीर से तेज चलते हैं। देवेंद्र फडणवीस के ‘दिल्ली अभी दूर है’ वाला तीर महाराष्ट्र के सत्ता के गलियारों में अभी भी घूम रहा है। मंत्रालय से लेकर मंत्रियों के बंगलों तक सवाल उठ रहे हैं कि आखिर फडणवीस को यह कॉन्फिडेंस आया कहां से?
अब यह वाक्य सुनने में जितना साधारण लगता है, उतना है नहीं। कुछ लोग मान रहे हैं कि फडणवीस ने साफ कर दिया कि वे केंद्र की राजनीति में नहीं जाएंगे यानी दिल्ली की दौड़ से फिलहाल बाहर हैं। वहीं कुछ समझदार-से-सियासतदां कह रहे हैं कि यह ‘अभी दूर है’ का अर्थ है थोड़ी देर में पहुंचेंगे। लेकिन ‘2029 तक मुख्यमंत्री पद पर बना रहूंगा’ वाले कॉन्फिडेंस का पलड़ा भारी दिख रहा है।
उनके इस बयान ने तीनों सहयोगी दलों में बेचैनी फैला दी है। शिंदे गुट सोच में पड़ गया है कि अगर दिल्ली दूर है तो शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी के कितने करीब पहुंचे हैं? अजीत पवार खेमे में हलचल और डर है कि कहीं ‘दिल्ली दूर है’ की आड़ में ‘वरिष्ठ उपमुख्यमंत्री’ हमेशा के लिए जूनियर न बने रह जाएं। उधर शरद पवार वेट एंड वॉच की भूमिका में हैं। ठाकरे बंधु मराठी वोटों को एकजुट करने का हरविध प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल सभी नेता मुंबई मनपा चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी के विजयी उद्घोष को सुनने को आतुर हैं।
उधर, समय-समय पर एकनाथ शिंदे दिल्ली जाते रहते हैं। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो कभी गृह मंत्री अमित शाह को गुलदस्ता थमाकर फोटो खिंचवा लेते हैं, ताकि उनका दबदबा बना रहे कि उनके लिए दिल्ली भले दूर हो, दिल्ली वाले दूर नहीं हैं। हालांकि इन सबका देवाभाऊ पर असर होता नहीं दिख रहा। बड़े धैर्य के साथ वे अपने मार्गदर्शकों द्वारा निर्देशित व निर्धारित कार्यों में लगे रहते हैं। वे चुपचाप आगामी मनपा चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं। चैनलों के बूम सामने हों और पत्रकारों के प्रश्नों की बौछार हो, तब भी वे बड़ी सादगी से ऐसा उत्तर दे देते हैं कि मीडिया को एक नया चर्चा का विषय मिल जाता है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि फडणवीस की यह शैली वही पुराना व्यंग्य है जिसमें बात कम, संकेत अधिक होते हैं। उन्होंने एक ही वाक्य में इतना कुछ कह दिया कि विरोधी पार्टियां प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से पहले डिक्शनरी और ज्योतिष दोनों देख रही हैं।
सियासत के इस मौसम में ‘दिल्ली अभी दूर है’ शायद एक संकेत हो कि फडणवीस न तो कहीं जा रहे हैं, न किसी को जाने देंगे। बस, सबको इतना जरूर बता दिया है कि भले दिल्ली दूर हो, सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग हो या अन्य आरोप; फिलहाल महाराष्ट्र की जनता का उनपर विश्वास बना हुआ है। जनता का विश्वास ही उनका कॉन्फिडेंस है।
