● मुश्त हसन अज्म के संचालन और हरि मृदुल की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन

● मीरा रोड।
मुश्त हसन अज्म के कुशल संचालन और हरि मृदुल की अध्यक्षता में कल शाम विरूंगला केन्द्र में दिवाली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई। दीप प्रज्वलन के पश्चात श्रीमती अर्चना वर्मा सिंह ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर अमेरिका में निवास कर रहे अशोक सिंह के तीन ग़ज़ल संग्रहों का लोकार्पण किया गया। वे स्वयं उपस्थित नहीं थे किंतु उनकी इच्छा थी कि उनकी रचनाओं का विमोचन उनकी मातृभूमि में हो। इस कार्य में अमर त्रिपाठी ने विशेष सहयोग दिया।
‘खिल गया गुंचा कोई’, ‘सूरज की चांद कहकशां’ और ‘आरज़ू की शाख पर’ नामक ग़ज़ल संग्रहों पर अमर त्रिपाठी, राकेश शर्मा और हरिप्रसाद राय ने अपने विचार व्यक्त किए।

विमोचन के बाद मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसे मुश्त हसन अज्म ने अपने कुशल संचालन से सफलता के शिखर तक पहुँचाया। कविता पाठ के पश्चात कवियों का सम्मान हरि मृदुल ने पुस्तकों द्वारा किया।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय संबोधन में हरि मृदुल ने नौजवान उर्दू शायरों की हौसला-अफ़ज़ाई करते हुए उनके अंदाज़-ए-बयां की सराहना की। उन्होंने अन्य भाषाओं में भी साहित्य पढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। ग़ालिब के इस शेर का उल्लेख करते हुए “रेख्ता में तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब, कहते हैं अगले ज़माने में मीर भी था”। उन्होंने कहा कि ग़ालिब यह बात अपने लिए नहीं, हम सबके लिए कहते हैं। उनका आशय यह है कि हमें अपने पूर्ववर्ती शायरों को पढ़ना चाहिए।
उन्होंने प्रश्न उठाया, “क्या हम अमीर ख़ुसरो, कबीर, नानक, मीरा, तुलसी, दुष्यंत कुमार, टैगोर, मजरूह सुल्तानपुरी से लेकर यश मालवीय तक के उस्तादों को पढ़ते हैं?” और स्वयं ही उत्तर दिया, “अधिकतर नहीं।”

उन्होंने शायरों को अपने से पहले के उस्तादों को पढ़ने की नसीहत दी और अपनी कुमाऊँनी रचना के साथ एक फेसबुक आधारित व्यंग्य कविता का पाठ किया।
इस अवसर पर बंगला साहित्य के अध्येता पुलक चक्रवर्ती तथा उर्दू शायर ताज मोहम्मद ‘ताज’ को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी वरिष्ठता और सक्रियता के प्रति सम्मान का प्रतीक था। पुलक चक्रवर्ती ने अपने को “78 वर्ष का नौजवान” बताते हुए कहा कि “विरूंगला केन्द्र के बुज़ुर्गों की ऊर्जा अब भी युवाओं जैसी है।”
कार्यक्रम के अंत में हृदयेश मयंक ने आभार व्यक्त करते हुए सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं।
