■ अक्षय नवमी आज, देवोत्थान एकादशी की तिथि तक भक्तिमय चहल-पहल

● मथुरा।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी का पर्व भले ही 31 अक्तूबर को है, लेकिन मथुरा और वृंदावन के परिक्रमा मार्ग पहले से ही श्रद्धालुओं की आस्था से सराबोर हो चुके हैं। हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान की भक्ति में डूबकर परिक्रमा लगाई, वहीं नगर निगम की टीमें मार्गों को दुरुस्त करने में जुटी रहीं ताकि मुख्य परिक्रमा के दिन श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
इस वर्ष गोपाष्टमी, अक्षय नवमी और देवोत्थान एकादशी तीनों पर्वों की तिथियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कहीं गोपाष्टमी बुधवार को मनाई गई तो कहीं गुरुवार को। इसी के अनुसार बुधवार को गोपाष्टमी मनाने वाले श्रद्धालु गुरुवार को अक्षय नवमी मना रहे हैं, जबकि गुरुवार को गोपाष्टमी मनाने वाले शुक्रवार को अक्षय नवमी मनाएंगे।
अधिकांश श्रद्धालु शुक्रवार को ही अक्षय नवमी का पर्व मना रहे हैं, इसलिए मुख्य परिक्रमा भी उसी दिन आयोजित होगी।
इसी प्रकार देवोत्थान एकादशी का पर्व भी दो दिनों तक मनाया जाएगा, जिसकी मुख्य परिक्रमा रविवार को तय की गई है। इससे पहले बुधवार को ही ग्रामीण अंचलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मथुरा और वृंदावन की परिक्रमा के लिए निकल पड़े, जिससे दोनों ही परिक्रमा मार्ग भक्तों की भीड़ से गूंजते रहे। नगर निगम ने शुक्रवार की अक्षय नवमी और रविवार की देवोत्थान एकादशी को ध्यान में रखते हुए परिक्रमा मार्गों की मरम्मत, सफाई और सजावट के कार्य तेज कर दिए हैं।
- हिंदू पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 30 अक्तूबर को सुबह 10:06 बजे प्रारंभ होकर 31 अक्तूबर को सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी। अक्षय नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्तूबर की सुबह 6:32 से 10:03 बजे तक रहेगा। कुल 3 घंटे 31 मिनट तक पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ समय रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा, दूध अर्पण, दीपदान और परिक्रमा करने का विशेष विधान है। इस दिन दान-पुण्य का अत्यंत महत्व बताया गया है। मान्यता है कि अन्न, वस्त्र और कंबल का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
