■ GW250114: अब तक का सबसे स्पष्ट गुरुत्वाकर्षण संकेत, हॉकिंग के सिद्धांत की पुष्टि

● नई दिल्ली।
GW250114 अब तक दर्ज हुआ सबसे साफ गुरुत्वाकर्षण संकेत है। इस संकेत ने वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की मूल भौतिकी को बेहतर समझने में मदद की। उन्होंने देखा कि जब दो ब्लैक होल आपस में टकराकर एक हो गए तो उससे निकली गुरुत्वाकर्षण तरंगों की आवाज़ जैसी आवृत्तियाँ कैसी थीं। इन तरंगों के अध्ययन से यह पक्का सबूत मिला कि स्टीफन हॉकिंग का मशहूर “ब्लैक होल एरिया सिद्धांत” सही है यानी जब दो ब्लैक होल मिलते हैं तो नए बने ब्लैक होल का आकार पहले से बड़ा होता है, छोटा नहीं।
जानकारी के अनुसार वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड से प्राप्त अब तक का सबसे स्पष्ट गुरुत्वाकर्षण तरंग संकेत दर्ज किया है। इस संकेत को GW250114 नाम दिया गया है। इस अभूतपूर्व खोज ने न केवल खगोल भौतिकी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है बल्कि स्टीफन हॉकिंग के “ब्लैक होल एरिया थ्योरम” (Black Hole Area Theorem) को भी अब तक का सबसे ठोस प्रेक्षण-साक्ष्य प्रदान किया है।
यह शोध LIGO-Virgo-KAGRA (LVK) वैज्ञानिक दल द्वारा किया गया है। प्राप्त संकेत की गुणवत्ता इतनी स्पष्ट थी कि वैज्ञानिक पहली बार काले छिद्रों के विलय के बाद उत्पन्न होने वाले “रिंगडाउन” चरण की तरंगों को सटीक रूप से माप सके।
क्या है GW250114?
यह घटना दो विशालकाय काले छिद्रों के आपसी संगम (merger) से जुड़ी है। मर्जर के दौरान अंतरिक्ष-समय (spacetime) में कंपन पैदा हुआ, जो गुरुत्वाकर्षण तरंगों के रूप में पृथ्वी तक पहुँचा। LIGO की अत्यंत संवेदनशील डिटेक्टर प्रणाली ने इस सिग्नल को पकड़ा।
विशेषज्ञों के अनुसार यह संकेत अब तक का सबसे उच्च “सिग्नल-टू-नॉइज़ रेशियो” (signal-to-noise ratio) रखता है। इससे मर्जर-के-बाद बने काले छिद्र की प्रकृति, उसका द्रव्यमान, घूर्णन और सतही क्षेत्र के विस्तार का विश्लेषण संभव हुआ।
हॉकिंग के सिद्धांत को समर्थन
स्टीफन हॉकिंग का ब्लैक होल एरिया थ्योरम कहता है कि किसी भी काले छिद्र प्रणाली का कुल सतही क्षेत्र कभी घट नहीं सकता, वह या तो समान रहेगा या बढ़ेगा। GW250114 से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण में यही पाया गया कि मर्जर से बने नए काले छिद्र का सतही क्षेत्र, मर्जर से पहले दोनों छिद्रों के सम्मिलित क्षेत्र से बड़ा था।
यह निष्कर्ष हॉकिंग के सिद्धांत की प्रत्यक्ष पुष्टि मानी जा रही है।
स्रोत: ●Max Planck Institute for Gravitational Physics (mpg.de)●LIGO Scientific Collaboration (ligo.caltech.edu)●Physical Review Letters – APS Journals (link.aps.org)
