■ दो महाद्वीपों के बीच एक पुल भर की दूरी

कल्पना कीजिए, आप किसी शहर के एक छोर पर खड़े हों और एक पुल पार करते ही दूसरे महाद्वीप में पहुँच जाएँ। यही अद्भुत भौगोलिक चमत्कार है तुर्की का। यह अनोखा देश एशिया और यूरोप दोनों में फैला हुआ है। इसका अधिकांश भाग एशिया में है, जबकि छोटा हिस्सा दक्षिण-पूर्वी यूरोप में स्थित है।
यूरोपीय भाग, जिसे ईस्ट थ्रेस कहा जाता है, क्षेत्रफल का लगभग 3 प्रतिशत है, किंतु यहाँ जनसंख्या और इतिहास दोनों की घनता उल्लेखनीय है। देश का बड़ा भूभाग अनातोलिया कहलाता है, जो एशिया में आता है। इन दोनों हिस्सों को बोस्फोरस जलडमरूमध्य और मरमारा सागर अलग करते हैं।
तुर्की की विशिष्टता यह है कि इसकी संस्कृति, खानपान और स्थापत्य दोनों महाद्वीपों की छाप लिए हुए हैं। इस्तांबुल ऐसा शहर है जो ठीक इसी सीमा पर स्थित है। हजारों वर्षों से यह व्यापार, विचारों और साम्राज्यों का सेतु रहा है।

पर्यटकों के लिए तुर्की एक ही देश में दो दुनियाओं का अनुभव कराता है। एक ओर यूरोपीय शैली की इमारतें और कैफे तो दूसरी ओर एशियाई बाज़ारों की रौनक और मसालों की सुगंध।
- दो महाद्वीपों में बसे देश तुर्की के कुछ रोचक तथ्य:
- तुर्की का लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा एशिया में और करीब 3 प्रतिशत हिस्सा यूरोप में है।
- इस्तांबुल दुनिया का एकमात्र महानगर है जो दो महाद्वीपों को जोड़ता है।
- बोस्फोरस जलडमरूमध्य यूरोप और एशिया को अलग करते हुए काला सागर को मरमारा सागर से जोड़ता है।
- तुर्की की तीन समुद्री तटरेखाएँ हैं; काला सागर, भूमध्य सागर और एजियन सागर।
- यूरोपीय भाग को ईस्ट थ्रेस, जबकि एशियाई भाग को अनातोलिया कहा जाता है।
- तुर्की के पुलों पर चलते या गाड़ी चलाते हुए लोग कुछ ही मिनटों में एक महाद्वीप से दूसरे पर पहुँच जाते हैं।
हजारों वर्षों से यह भूमि व्यापार, साम्राज्य और प्रवास के लिए एक सेतु का कार्य करती रही है, सचमुच दो सभ्यताओं के संगम की भूमि।
(साभार: इंडिया टुडे)
