
नई दिल्ली।
महज सात महीने पहले तक ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-16 रेलवे ब्रिज के पास फैली 10 एकड़ ज़मीन एक भयावह डंपिंग ग्राउंड थी। यहां जहरीली गैसें उठती थीं, अवैध खनन होता था और कचरे के ढेर से आसपास के निवासियों की सेहत पर खतरा मंडराता था। लेकिन अब इसी जमीन पर पेड़ लहलहा रहे हैं और पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है।
इस कायापलट के पीछे है स्थानीय स्वयंसेवी संस्था SAFE (Social Action for Forest and Environment) की सतत मेहनत, जिसे ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (GNIDA) और नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) का समर्थन प्राप्त हुआ।
ऐसे हुई कायापलट
SAFE के संस्थापक विक्रांत टोंगड़ बताते हैं, ‘यह इलाका अवैध मिट्टी खनन और गाजियाबाद से लाए गए बिना परीक्षण के तरल अपशिष्ट व पास की सोसाइटियों से आए ठोस कचरे की वजह से गंभीर रूप से प्रदूषित हो गया था। यहां लगातार आग लगने की घटनाएं होती थीं, जिससे आसपास के रहवासियों का जीना मुश्किल हो गया था।’
रोजा-जलालपुर गांव के निवासियों ने इस स्थिति को लेकर SAFE से संपर्क किया। विक्रांत बताते हैं, ‘यह भूमि पहले हरियाली से भरी थी, लेकिन धीरे-धीरे डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो रही थी। ग्रामीण नहीं चाहते थे कि यहां दिल्ली के गाज़ीपुर जैसे कचरा पहाड़ बन जाए।’
SAFE ने GNIDA से संपर्क साधा, जिसके बाद अधिकारियों ने स्थल का निरीक्षण किया। फिर NPCL ने इस हरित पहल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की। सात महीनों की कड़ी मेहनत में 1,600 किलो से अधिक प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण किया गया और 12 ट्रक कचरा GNIDA की लखनवानी सुविधा केंद्र भेजा गया। (स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस)