■ सूर्यकांत उपाध्याय

मेरे पास एक स्कूटी थी। बहुत दिनों से उसका उपयोग नहीं हो रहा था तो विचार आया कि उसे OLX पर बेच दूँ। कीमत ₹30,000 डाल दी।
बहुत ऑफर आए, 15 से 28 हजार तक। एक व्यक्ति ने 29,000 का भी प्रस्ताव दिया, उसे भी वेटिंग में रखा।
कल सुबह एक कॉल आया। उसने कहा,”नमस्कार! आपकी गाड़ी का ऐड देखा। बहुत पसंद आई है।
30000 रुपए जुटाने की बहुत कोशिश की पर बड़ी मुश्किल से 24000 ही इकट्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत करता है… कभी पैदल, कभी साइकिल, कभी बस, कभी किसी के साथ…
सोचा, अंतिम वर्ष तो अपनी गाड़ी से जाए।
नयी गाड़ी मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। आप कृपया स्कूटी मुझे ही दे दीजिए। थोड़ा समय दीजिए, मैं पैसों का इंतजाम करूँगा। मोबाइल बेचकर कुछ रुपए मिलेंगे पर हाथ जोड़कर विनती है मैडम, मुझे ही दे दीजिए।”
मैंने औपचारिकता में केवल “ओके” कहा और फोन रख दिया।
कुछ देर बाद मन में विचार आया। मैंने उसे वापस फोन किया और कहा,
“आप अपना मोबाइल मत बेचिए। कल सुबह सिर्फ 24 हजार लेकर आइए, गाड़ी आप ही ले जाइए मात्र 24 में।”
मेरे पास 29 हजार का प्रस्ताव होते हुए भी मैं 24 हजार में किसी अपरिचित को स्कूटी देने जा रही थी। सोचा, उस परिवार में आज कितनी खुशी हुई होगी।
अगली सुबह उसका फोन कम से कम 6–7 बार आया, “मैडम, कितने बजे आऊँ? आपका समय तो खराब नहीं होगा? पक्का लेने आऊँ? बेटे को लेकर आऊँ या अकेला? पर गाड़ी किसी और को मत दीजिएगा।”
वह 500, 200, 100, 50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, मगर साथ में बेटा नहीं, एक लड़की थी। नोट देखकर लगा, ना जाने कहाँ-कहाँ से इकट्ठा किए होंगे।
लड़की अत्यंत उत्सुकता और कृतज्ञता से स्कूटी को देख रही थी। मैंने उसे दोनों चाबियाँ, हेलमेट और कागज दे दिए। वह गाड़ी पर हाथ फेरते हुए स्कूटी पर बैठ गई। उसकी खुशी देखने लायक थी।
उसने मुझे पैसे गिनने को कहा। मैंने कहा,“आप गिनकर ही लाए होंगे, कोई दिक्कत नहीं।”
जब वे जाने लगे, मैंने उन्हें 500 रुपए वापस देते हुए कहा, “घर जाते समय मिठाई लेते जाइएगा।”
मेरी सोच यह थी कि पता नहीं उनके पास तेल के पैसे हों या नहीं। और यदि हों भी तो मिठाई और तेल, दोनों इसमें आ जाएँ।
आँखों में कृतज्ञता के आँसू लिए उसने मुझसे अनुमति माँगी।
जाते-जाते मैंने पूछा, “ये बिटिया कौन है?”
उसने उत्तर दिया, “यही तो मेरा बेटा है…!”
उन्होंने विदा ली और स्कूटी लेकर चले गए। जाते समय उसने अत्यंत विनम्रता से झुककर अभिवादन किया और बार-बार आभार व्यक्त किया।
दोस्तों, जीवन में कुछ व्यवहार करते समय केवल नफा–नुकसान नहीं देखना चाहिए।
आपके माध्यम से किसी को वास्तविक आनंद मिले, यह देखना भी उतना ही जरूरी है…!!!
