
नई दिल्ली।
भारत अब सिर्फ फाइटर जेट नहीं उड़ाएगा बल्कि उनका ‘दिल’ यानी इंजन भी खुद बनाएगा। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन जैसे देशों में इस्तेमाल होने वाला GE का F-414 टर्बोफैन इंजन अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की फैक्ट्री में भारतीय हाथों से बनेगा।
HAL के चेयरमैन डीके सुनील के अनुसार, भारत और GE के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का 80 प्रतिशत हिस्सा पूरा होगा। यानी भारत को सिर्फ इंजन नहीं, उसकी तकनीक भी मिलेगी जो एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है।
F-414 इंजन, जो F-18 सुपर हार्नेट जैसे अमेरिकी जेट्स में इस्तेमाल होता है, 22,000 पाउंड की ताकत देता है। यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी की 2023 अमेरिका यात्रा में तय हुआ था लेकिन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर बातचीत में समय लगा।
अब यह इंजन भारत के तेजस MK2 और AMCA जैसे उन्नत फाइटर जेट्स को ताकत देगा, जो AESA रडार से लैस होंगे। यह कदम चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से निपटने में भारत की क्षमताएं बढ़ाएगा और अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाई देगा।