लंदन।

जीवन अपना रास्ता खुद बना लेता है, इस पुरानी कहावत को हाल ही में इंग्लैंड में सच होते देखा गया, जहां राख (Ash) के पेड़ एक घातक बीमारी के खिलाफ स्वाभाविक रूप से प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार Hymenoscyphus fraxineus नामक फफूंदी के कारण फैलने वाली ‘ऐश डाइबैक’ बीमारी ने यूरोप भर में करोड़ों पेड़ों को नष्ट कर दिया है। यह बीमारी 2012 में ब्रिटेन पहुंची थी। पर अब एक नई रिसर्च बताती है कि जंगलों में प्राकृतिक रूप से उग रहे नए पेड़ इस बीमारी के प्रति अधिक प्रतिरोधक हो गए हैं।
रॉयल बोटेनिक गार्डन, क्यू और क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, लंदन के शोधकर्ताओं ने पुराने और नए पेड़ों के डीएनए का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि नई पीढ़ी के पेड़ों के जीन में ऐसे बदलाव आए हैं जो बीमारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हजारों जीन इस प्रतिरोधक क्षमता में भूमिका निभा रहे हैं। प्रोफेसर रिचर्ड निकोल्स के अनुसार, ‘पेड़ों के लिए यह संकट, विज्ञान के लिए एक अवसर साबित हुआ। इसने हमें दिखाया कि प्राकृतिक चयन कैसे तेजी से काम करता है।’
इस खोज से ब्रिटेन के राख के पेड़ों को लेकर फिर से उम्मीद जगी है क्योंकि पहले अनुमान था कि 85 प्रतिशत पेड़ खत्म हो सकते हैं। अब यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकृति खुद समाधान ढूंढ रही है।