● सरकार ला रही सामाजिक सुरक्षा कानून

मुंबई।
आज का दौर ऑन डिमांड सर्विस का है एक क्लिक में ऑर्डर और कुछ ही मिनटों में वह सामान या खाना आपके दरवाजे पर। लेकिन इस सुविधा के पीछे एक ऐसा चेहरा है, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है डिलीवरी मैन।
चाहे अमेजॉन-फ्लिपकार्ट से ऑर्डर हो या जोमैटो-स्विगी से खाना, हर बार एक डिलीवरी एजेंट ही वह पुल होता है जो ग्राहक और सेवा को जोड़ता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस डिजिटल सुविधा की सबसे भारी कीमत कौन चुका रहा है?
देश में तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी की दुनिया के साथ डिलीवरी मैन की तादाद भी बढ़ी है। मगर इनकी ज़िंदगी चुनौतियों से भरी होती है। अनिश्चित नौकरी, कम वेतन और हर मौसम में लगातार काम। अब इस दिशा में एक बड़ी पहल की जा रही है।
महाराष्ट्र सरकार जल्द ही डिलीवरी मैन के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून लाने जा रही है। राज्य के श्रम मंत्री आकाश फुंडकर ने यह संकेत दिए कि गिग इकॉनॉमी में काम करने वालों के हितों की रक्षा अब प्राथमिकता होगी। फुंडकर ने कहा, ‘चिलचिलाती धूप हो या मूसलधार बारिश, ये लोग हर हाल में समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। लेकिन इन्हीं वर्कर्स को अक्सर बेहद कम वेतन, कठोर शर्तों और नौकरी की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। यह अन्यायपूर्ण है।’
प्रस्तावित कानून के तहत डिलीवरी करनेवालों को न्यूनतम वेतन, निर्धारित अवकाश और रिटायरमेंट प्लान जैसे अधिकार मिल सकते हैं। यह न सिर्फ उनकी मेहनत का सम्मान होगा, बल्कि उन्हें आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा।