● भारत के लिए कूटनीतिक अवसर

नई दिल्ली।
पिछले दो वर्षों में बलोच विद्रोह ने पाकिस्तान की नींव हिला दी है। बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और संबद्ध संगठनों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों व चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर लगातार हमले किए हैं। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान में आतंकी घटनाओं में 45 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। बीएलए की महिला आत्मघाती इकाई ‘मजीद ब्रिगेड’ की सक्रियता ने इस विद्रोह को और खतरनाक बना दिया है। अब यह केवल पारंपरिक संघर्ष नहीं बल्कि शहरी नेटवर्क, साइबर प्रोपेगंडा और हाईब्रिड युद्ध का रूप ले चुका है।
2020-24 के बीच 650 से ज्यादा हमलों में पाकिस्तान के 850 से अधिक सुरक्षा कर्मी मारे गए। रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूट और SATP जैसे विशेषज्ञ इसे सस्टेन्ड एसीमेट्रिक वारफेयर और जिंदा ज्वालामुखी मानते हैं, जो पाकिस्तान की राजनीति, सुरक्षा और विदेशी निवेश पर सीधा असर डाल रहा है।
भारत को क्या फायदा?
बलोच विद्रोह पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को कमजोर कर रहा है, जिससे भारत के लिए कई रणनीतिक और कूटनीतिक लाभ संभव हैं। जैसे, सीपीईसी पर दबाव से चीन-पाक गठजोड़ में दरार पड़ सकती है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बलूच मुद्दा उठाकर भारत पाकिस्तान की मानवाधिकार विफलताओं को उजागर कर सकता है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना की क्षति उसकी भारत विरोधी गतिविधियों को सीमित कर सकती है और दक्षिण एशिया में भारत की कूटनीतिक स्थिति और मजबूत हो सकती है। बलोच विद्रोह भारत के लिए एक बड़ी भू-राजनीतिक संभावना बनकर उभर रहा है, जिसे सूझबूझ और संतुलन के साथ साधना जरूरी है।