● आयुष और AI का संगम

नई दिल्ली।
भारत पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से डिजिटल रूप देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इसमें आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी और सोवा-रिग्पा जैसी प्रणालियों को शामिल किया गया है।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) के इस नए स्वरूप को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का समर्थन प्राप्त है। इसका उद्देश्य प्राचीन चिकित्सा परंपराओं को संरक्षित करना, रिसर्च को बढ़ावा देना और उन्हें गलत ढंग से पेटेंट किए जाने से बचाना है।
पुराने समय में ये ज्ञान मौखिक परंपराओं, ताड़पत्र और ग्रंथों में सीमित था। कई विदेशी कंपनियों ने इन्हें पेटेंट कराने की कोशिश की लेकिन TKDL ने इस खतरे को रोका। यह लाइब्रेरी अब AI आधारित प्रणाली से संचालित होती है, जो जटिल जानकारियों को व्यवस्थित कर, पारंपरिक उपचारों और आधुनिक रोगों के बीच संबंध खोजने में सक्षम है।
WHO ने इस दिशा में भारत के प्रयास को वैश्विक स्वास्थ्य में परंपरा और आधुनिकता के संगम की मिसाल बताया है।
AI से जुड़ी नई पहलें
TKDL में आयुर्जीनोमिक्स पर भी काम हो रहा है, जो DNA और आयुर्वेदिक ‘प्रकृति’ को जोड़कर व्यक्तिगत इलाज की दिशा में उपयोगी है। साथ ही, नाड़ी-परीक्षण और जिह्वा-परीक्षण जैसे पुराने तरीकों को भी AI तकनीक से जोड़ने की कोशिश हो रही है।
सरकार का लक्ष्य
केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि यह कदम न केवल धरोहर को संजोने का है अपितु वैश्विक स्वास्थ्य समाधान में भारत का योगदान बढ़ाने की दिशा में भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए “AI for All” विजन को स्वास्थ्य क्षेत्र में साकार किया जा रहा है।