● सूर्यकांत उपाध्याय

एक बेहद मेधावी लड़का जो हमेशा टॉप करता रहा, IIT चेन्नई से इंजीनियरिंग कर अमेरिका गया और वहां भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा। आलीशान जीवन, सुंदर पत्नी और मोटी तनख्वाह के बीच सब कुछ परिपूर्ण लगता था। लेकिन जब आर्थिक मंदी में नौकरी चली गई और वित्तीय संकट बढ़ा तो उसने पत्नी-बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार वह सफलता के लिए तो तैयार था पर असफलता से लड़ने के लिए नहीं। उसे यह नहीं सिखाया गया कि जीवन के संघर्षों का सामना कैसे किया जाए।
हमारे समाज में अक्सर बच्चों से केवल ‘फर्स्ट आओ’ की उम्मीद की जाती है। न खेल, न असफलता, न संघर्ष से साक्षात्कार। ज़िंदगी एक कठोर जंगल की तरह है, जहां हर दिन एक नया इम्तिहान है बिना डेट शीट के।
ठीक ऐसा ही हुआ था कैफे कॉफी डे के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ के साथ। सफलता की ऊंचाई छूने के बाद भी वे दबाव और असफलता को संभाल नहीं पाए।
सारांश:
बच्चों को केवल शिक्षा ही नहीं, संस्कार, धैर्य, संघर्ष और भावनात्मक सहनशक्ति भी दीजिए। उनसे दोस्ती कीजिए ताकि वे जीवन की हर परिस्थिति में आपसे संवाद कर सकें यही असली सुरक्षा कवच है।