
जॉर्जिया।
जॉर्जिया, जो महिला शतरंज की शुरुआती पथप्रदर्शकों का देश रहा है, वहीं भारत को मिली अपनी नई चैंपियन दिव्या देशमुख। मात्र 19 वर्ष की दिव्या ने फाइनल में अनुभवी कोनेरु हम्पी (38) को टाईब्रेकर में हराकर FIDE वुमेन्स वर्ल्ड कप का खिताब जीता है।
इस जीत के साथ दिव्या देशमुख भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बन गई हैं। खास बात यह है कि टूर्नामेंट शुरू होने से पहले उनके पास एक भी ग्रैंडमास्टर नॉर्म नहीं था, जो इस उपाधि के लिए जरूरी होता है। लेकिन FIDE के नियमों के अनुसार वर्ल्ड कप जीतने पर उन्हें सीधे GM का दर्जा मिल गया। वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं।

फाइनल में पहुंचने के साथ ही हम्पी और दिव्या दोनों ने 2026 की कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में अपनी जगह पक्की कर ली, जहां से विजेता को मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेनजून को चुनौती देने का मौका मिलेगा।
भावुक दिव्या ने जीत के बाद कहा, शायद यह मेरी किस्मत थी। टूर्नामेंट से पहले मेरे पास एक भी नॉर्म नहीं था, सिर्फ उम्मीद थी कि शायद एक नॉर्म मिल जाए। लेकिन मैं सीधे ग्रैंडमास्टर बन गई।’
कोनेरु हम्पी के बाद अब तक सिर्फ हरीका द्रोणावल्ली और वैशाली रमेशबाबू ही महिला ग्रैंडमास्टर बन पाई थीं। अब दिव्या भी इस गौरवशाली सूची में शामिल हो गई हैं।