• मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट पर बर्ड हिट की घटनाएं नई चुनौती
■ डॉ धीरज फूलमती सिंह
देखा जाए तो विमानों से पक्षियों का टकराना अब जैसे आम सी बात हो चुकी है, लेकिन यह कई बार बहुत अधिक खतरनाक हो सकता है। विमान से पक्षियों के टकराने की घटनाएं अक्सर एयरपोर्ट के आसपास ही होती हैं, खासकर उस वक्त जब विमान लैंडिंग करने वाला होता है या उड़ान भरने वाला होता है।

इस दौरान विमान कम ऊंचाई पर होता है, लिहाजा पक्षी आकर अक्सर उससे टकरा जाते हैं। 90 फीसदी बर्ड हिट की घटनाएं एयरपोर्ट के करीब ही होती हैं। शायद आप विश्वास नहीं करेंगे कि मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट हमेशा से ही इस खतरे के मुहाने पर ही बैठे हैं। भविष्य में मुंबई या दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास पक्षियों द्वारा किसी बड़ी विमान दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पक्षियों का विमान से टकराना कई बार कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, मगर कई बार यह बहुत अधिक घातक हो सकता है। पक्षी के टकराने से विमान का इंजन अचानक बंद हो सकता है। कई बार इंजन पूरी तरह फेल हो सकता है और उसमें आग तक लग सकती है। पक्षियों के ज्यादातर हमले सूर्योदय या सूर्यास्त के समय होते हैं, जब पक्षियों की संख्या आसमान में बढ़ने लगती है।
कई बार रडार से पक्षियों के झुंड पर नजर रखी जाती है। पायलटों को इससे सतर्क रहने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है, मगर जब कोई एक पक्षी अचानक विमान के सामने आ जाता है तो इससे यात्रियों की जान पर आफत आ सकती है। इससे बचने के लिए कई विमान निर्माता टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल करते हैं। पक्षियों की टक्कर से विमान के पंखे का ब्लेड अक्सर क्षतिग्रस्त हो जाता है और इससे इंजन फेल होने या उसमें आग लगने की घटनाएं हो जाती हैं।
यदि मैं दिल्ली की बात करूं तो पिछले साल दिल्ली एयरपोर्ट पर बर्ड हिट के 130 और वर्ष 2023 में रिकॉर्ड 185 मामले सामने आए। इनसे एयर मूवमेंट में भी परेशानी हुई। डीजीसीए द्वारा ऑडिट में यह बात भी सामने आई थी कि दिल्ली एयरपोर्ट ऑपरेटर ने एयरपोर्ट के 10 किलोमीटर के दायरे में चल रहे अवैध बूचड़खानों, दुकानों और खुले कूड़ेदानों की न तो कोई सूची तैयार की थी और न ही इनके ऊपर कोई कार्रवाई की गई थी।
कमोबेश यही हाल मुंबई हवाई अड्डे का भी है। मुंबई हवाई अड्डे के 10 किलोमीटर के दायरे में कचरा डंपिंग ग्राउंड, हवाई अड्डे की सीमा से ही लगी कई झुग्गी-झोपड़ी बस्तियां बसी हैं। मीठी नदी के आसपास मैंग्रोव वन या वन क्षेत्र होने के कारण वहां बड़ी संख्या में पक्षी रहते हैं, जिससे हवाई यातायात को खतरा पैदा होता है।

मुंबई में देवनार बूचड़खाना, कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड और वर्सोवा कचरा स्थानांतरण केंद्र हवाई अड्डे के बिल्कुल फनल ज़ोन में ही आते हैं। चूंकि कचरा डंप करने से हम पक्षियों को भोजन प्रदान करते हैं, इसलिए इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पक्षी मौजूद रहते हैं। इस वजह से मुंबई हवाई अड्डे से उतरने और उड़ान भरने वाले विमानों को खतरा बना रहता है।
विमानन अधिकारियों ने देवनार और कांजुरमार्ग लैंडफिल के साथ-साथ वर्सोवा कचरा स्थानांतरण केंद्र को प्रमुख समस्या क्षेत्रों के रूप में पहचाना है।
गौरतलब है कि मुंबई हवाई अड्डे के लिए बढ़ते खतरे की एक निशानी फ्लेमिंगो की संख्या भी है। ये विशेष पक्षी, खासकर प्रवास के मौसम में, विमानों के लिए खतरा बढ़ा देते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि 20 मई 2024 को दुबई से मुंबई आ रहा विमान घाटकोपर के ऊपर आसमान में लगभग 1000 फीट की ऊंचाई पर फ्लेमिंगो के एक झुंड से टकरा गया। ईश्वर का लाख-लाख शुक्र था कि हवाई अड्डे पर विमान सुरक्षित उतर गया। जन-धन की कोई हानि नहीं हुई लेकिन इस वजह से लगभग 40 फ्लेमिंगो पक्षी मर गए और विमान को भी काफी क्षति हुई, जिस वजह से विमान की वापसी की उड़ान को रद्द करना पड़ा।
ऐसा ही मिलता-जुलता खतरा निकट भविष्य में नए मुंबई एयरपोर्ट के साथ भी हो सकता है। यह समस्या उल्वे में खुलेआम वध और मांस की बिक्री से उत्पन्न हुई है, जो रनवे से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर है और विमानन सुरक्षा मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन है।
जेट इंजनों को टेकऑफ के फेज के दौरान ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है। जब विमान कम ऊंचाई पर होता है, उस ऊंचाई पर पक्षी अधिक पाए जाते हैं। उस वक्त इंजन बहुत तेज़ गति से घूम रहा होता है। यही वजह है कि उस वक्त एक छोटा-सा पक्षी भी टकरा जाए तो विमान के उड़ता ताबूत बनने की आशंका बढ़ जाती है। इंजन में फंसकर ये पक्षी इंजन के सिस्टम को फेल कर देते हैं।
इस साल जून तक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर बर्ड हिट के 41-41 मामले सामने आए। यह अभी सिर्फ आधे साल की कहानी है। अभी तो आधा साल बाकी है। आने वाला समय पक्षियों के प्रवास के लिए सबसे बेहतरीन मौसम है। आने वाले छह महीने विमानों के लिए और भी खतरा बढ़ा सकते हैं। हालांकि सरकार और प्रशासन की ओर से हर मोर्चे पर यात्रियों की सुरक्षा के हरविध बचाव के लिए प्रतिबद्धता दिखाई जाती है।
(लेखक वरिष्ठ स्तम्भकार व स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। उक्त लेख लेखक के निजी विचार हैं।)