● मनोज श्रीवास्तव

बस्ती।
जिले की हर्रैया तहसील के सोनबरसा गांव के निवासी तिवारी जी ने एक अनुकरणीय कार्य किया है। लगभग 40 वर्षों तक परिवहन विभाग में सेवा देने वाले तिवारी जी आगामी छह महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
1997 में गांव से कुछ दूरी पर एक जूनियर हाईस्कूल की स्थापना हुई थी, जहां आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने आते हैं। स्कूल में पर्याप्त शिक्षक भी नियुक्त हैं, लेकिन वहां तक पहुँचने का कोई समुचित रास्ता नहीं था विशेषकर वर्षा ऋतु में तो बिल्कुल भी नहीं।
तिवारी जी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वर्षों तक सेवा दी है और वर्तमान में अयोध्या में तैनात हैं। जब उन्होंने अपने गांव में अधिक समय देना शुरू किया, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि स्कूल तक पहुँचने के लिए कोई सड़क नहीं है।
प्रारंभ में उन्होंने स्थानीय स्तर पर प्रयास किए, किंतु कोई परिणाम नहीं निकला। इसके बाद उन्होंने बड़े अधिकारियों को रजिस्ट्री डाक के माध्यम से पत्र भेजना शुरू किया। ये पत्र उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग, एसडीएम, एडीएम, डीएम, कमिश्नर, बेसिक शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भेजे।
केवल प्रधानमंत्री कार्यालय से ही उन्हें उत्तर प्राप्त हुआ। इससे कुछ अधिकारी सक्रिय हुए, लेकिन एसडीएम ने लिखित में जवाब दिया कि जिन मार्गों की मांग की जा रही है, वे निजी जमीनों से होकर गुजरते हैं और उन जमीनों के खातेदार मौजूद हैं।
बड़े अधिकारियों के असहयोग के बावजूद तिवारी जी का हौसला कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ गया। उन्होंने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। कोर्ट ने तय समय-सीमा में स्कूल तक रास्ता बनाने का आदेश दिया लेकिन फिर भी प्रशासनिक स्तर पर टालमटोल होती रही।
इसके बाद तिवारी जी पुनः उच्च न्यायालय पहुँचे। इस बार उनका मामला मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में पहुँचा। न्यायमूर्ति ने केस स्टडी कर समस्त तथ्यों को जाना। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि रास्ता बनाने हेतु आवश्यक भूमि अधिग्रहित की जाए और यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन के बदले जमीन देना चाहता है तो उसकी व्यवस्था की जाए।
तिवारी जी ने बताया कि जब माननीय न्यायाधीश ने उनसे पूछा, ‘क्या आप अध्यापक हैं?’ तो उन्होंने उत्तर दिया, ‘नहीं, मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं, लेकिन शिक्षा से जुड़ा नहीं हूं।’ यह जानकर न्यायमूर्ति अत्यंत प्रसन्न हुए।
आज उस स्कूल तक पहुँचने के लिए एक सुंदर पक्की सड़क बन चुकी है। बच्चों को आने-जाने में अब कोई कठिनाई नहीं होती। कभी हार न मानने वाले तिवारी जी जैसी विभूतियां समाज के लिए आदर्श हैं।