
वाराणसी।
सेठ आनंद जयपुरिया स्कूल, वाराणसी में योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज (संस्थापक, श्री हरि नारायण सेवा संस्थान, पालघर, मुंबई, महाराष्ट्र; राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय जैन दिवाकर मंच, संत प्रकोष्ठ) के प्रेरणापूर्ण मार्गदर्शन में ‘संस्कृति, संस्कार और नाद योग’ का भव्य आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम योगीराज के पूर्वांचल के संस्कृति-संस्कार-नाद योग तूफानी दौरे का एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा।
अपने उद्बोधन में योगीराज ने ‘हर विद्यालय में संस्कारालय’ की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते प्रभाव से बच्चों के संस्कार कमजोर हो रहे हैं, जिससे अभिभावक चिंतित हैं। विद्यालयों में संस्कार केंद्र स्थापित कर इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।

कार्यक्रम में नाद योग की विशेष प्रस्तुति के रूप में मराठी भजन ‘पाउले चालती पंढरीची वाट’ की धुन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। योगीराज ने देश में हिंदी के नाम पर कई स्थानों पर हो रहे विवादों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कला सदैव देश को जोड़ने का कार्य करती है। इस अवसर पर बांसुरियां भी वितरित की गईं, जिससे छात्रों में गहरी उत्सुकता और आनंद की लहर दौड़ गई।
प्रधानाचार्य धरमिंदर मेनन ने योगीराज का शाल, श्रीफल और मोमेंटो देकर सम्मान किया। विद्यालय के छात्रों ने इस अद्वितीय कार्यक्रम से अभिभूत होकर योगीराज का कोटि-कोटि धन्यवाद किया और पुनः आगमन का आग्रह किया।
शिक्षक नेता श्री अश्वनी तिवारी ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और ऐसे आयोजन नियमित रूप से होने चाहिए।