● इंडोनेशिया के गहरे समुद्र में कैमरे में कैद हुई लिविंग फॉसिल सीलोकेन्थ
जकार्ता।
करीब 70 मिलियन वर्ष पहले विलुप्त मान ली गई मछली सीलोकेन्थ अब फिर से जीवित अवस्था में दुनिया के सामने आ चुकी है। इंडोनेशिया के उत्तर मालुकू क्षेत्र में अप्रैल 2025 में हुए एक ऐतिहासिक गोताखोरी अभियान के दौरान इस अद्भुत मछली को पहली बार प्राकृतिक आवास में कैमरे में कैद किया गया।

जीवाश्म से जीवंत तक
सीलोकेन्थ को लंबे समय तक केवल जीवाश्मों में दर्ज एक प्रजाति माना गया। वैज्ञानिकों को लगा था कि यह प्राणी डायनासोरों के साथ ही लुप्त हो चुका। लेकिन 1938 में दक्षिण अफ्रीका के पास एक जाल में यह जिंदा मिली और विज्ञान जगत सन्न रह गया। इसके बाद कभी-कभार मृत या पकड़ी गई मछलियाँ मिलीं, लेकिन जीवित अवस्था में इसके असली निवास को कैमरे में कैद करना अब तक संभव नहीं था।
इंडोनेशिया की गहराइयों में चमत्कार
इस वर्ष अप्रैल में UNSEEN Expeditions की टीम, Blancpain Ocean Commitment और वैज्ञानिक साझेदारों के सहयोग से, 145 मीटर गहराई में गोताखोरी कर रही थी। इसी दौरान एक चमकदार रोशनी में धीरे-धीरे तैरती हुई Latimeria menadoensis उनकी नज़र में आई। कैमरे का शटर दबा और मानव इतिहास का एक अद्भुत क्षण दर्ज हो गया।
क्यों खास है यह खोज?
यह मछली लगभग दो मीटर लंबी और भारी-भरकम होती है। इसकी फिन संरचना जमीन पर चलने वाले जीवों से मिलती-जुलती है, जिससे वैज्ञानिकों को विकासवाद के रहस्यों को समझने में मदद मिलती है। इसका जीवनचक्र बेहद धीमा है। यह लगभग 40–50 वर्ष की आयु में प्रजनन योग्य होती है और इसका गर्भकाल लगभग पांच वर्ष तक चलता है।यही कारण है कि इसकी आबादी पर थोड़ी सी भी मानवीय गतिविधि भारी पड़ सकती है।
समुद्र का अनकहा रहस्य
सीलोकेन्थ की यह खोज केवल एक प्रजाति की वापसी नहीं है बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि समुद्र की गहराइयाँ अब भी हमारे लिए रहस्य और चमत्कारों का भंडार हैं। यह जीव हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी का विकासक्रम सीधा-सपाट नहीं बल्कि अनगिनत मोड़ों और अप्रत्याशितताओं से भरा है।