
नई दिल्ली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने शताब्दी वर्ष को सामाजिक समरसता के अभियान से जोड़ते हुए हिंदू-मुस्लिम समाज की दूरियां घटाने का लक्ष्य तय किया है। गुरुवार को हरियाणा भवन में सरसंघचालक मोहन भागवत की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में गृह संपर्क अभियान चलाएगा और करीब 20 करोड़ घरों तक पहुंचेगा।
बैठक में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल और एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार सहित 40 से अधिक पदाधिकारी मौजूद थे। चर्चा का मुख्य विषय रहा कि समाज के दोनों वर्गों को नजदीक लाकर भारतीयता की साझा पहचान को कैसे मजबूत किया जाए।
सूत्रों के अनुसार संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग नहीं बल्कि एक ही परंपरा और पूर्वजों के वारिस हैं। दोनों का डीएनए समान है और वे भारत के अखंड हिस्से हैं। बैठक में मुस्लिम समाज के शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान पर विशेष बल देने का निर्णय भी लिया गया।
कश्मीर की बदलती परिस्थितियों पर भी चर्चा हुई। संघ प्रमुख ने वहां की सोच को सकारात्मक बताते हुए गृह संपर्क अभियान को और सक्रिय करने पर जोर दिया।
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले भी मोहन भागवत ने ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष उमेर अहमद इलियासी सहित मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से संवाद किया था। संघ का यह सतत प्रयास दोनों समाजों के बीच बनी भ्रांतियों को दूर कर आपसी विश्वास बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है।