● ब्रम्हलीन स्वरूपानंद सरस्वती की जयंती महोत्सव मंगलवार को
● स्वर्ण और रजत अक्षरों में लिखे जाएंगे नाम

मुंबई।
भारत के सनातन संस्कारों में स्त्री को हमेशा देवी के रूप में देखा गया है। यहां स्त्रियों को जो सम्मान दिया गया है वह स्वर्ग में भी उपलब्ध नहीं है। स्त्री का इतना आदर और मान-सम्मान है कि उन्हें घर के बाहर जाने की आवश्यकता ही नहीं है।कमाने या काम करने जाना की उनका काम ही नहीं है। उनकी देखभाल और सुरक्षा का पूरा जिम्मा पुरुषों का है। चाहे पति के रूप में हो, पिता के रूप में हो, भाई के रूप में हो या अन्य किसी रिश्ते के रूप में हो। हमारे संस्कारों में पुरुषों के रहते पालन-पोषण और अपनी रक्षा की चिंता स्त्रियों को नहीं करनी होती है। यही हमारी संस्कृति है। लेकिन आज हम उन्हें किस दृष्टि से देखते हैं? अपनी सुरक्षा के लिए स्त्रियों को मिर्ची पाउडर रखने और कराटे की सीख देनी पड़ रही है। यह हमारी संस्कृति नहीं है। स्त्रियों के लिए हमारे भारत के जो भाव थे वह समझने के लिए पहले अपनी संस्कृति को समझना होगा। भारत की संस्कृति को समझे बिना हम स्त्री को नहीं समझ सकते हैं। हम सारे पुरुष स्त्रियों के लिए उनके सैनिक हैं। उनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। यह बात ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यहां मुंबई में कही। मुंबई में बोरीवली स्थित कोराकेंद्र मैदान पर इन दिनो महाराजश्री का दिव्य-भव्य चातुर्मास्य व्रत महामहोत्सव पूरे उत्साह पर है।

महाराजश्री के गुरु व ज्योतिर्मठ व द्वारका पीठ के ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की जयंती मंगलवार 26 अगस्त यहां मुंबई में धूमधाम से मनाई जाएगी। इस अवसर पर महाराजश्री द्वारा बनवाए गए चांदी के पन्नों पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में गौमाता को राजमाता का दर्जा देने का निर्णय एकनाथ शिंदे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किया था। महाराजश्री ने गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए देशव्यापी अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने कहा कि अब तक स्वर्णाक्षरों में नाम लिखे जाने की केवल कहावत रही है। महाराजश्री उसे हकीकत में कर दिखा रहे हैं। चांदी के पन्नों पर सबसे पहले उन्होंने अपने गुरुजी दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का नाम लिख दिया है। कई अन्य लोगों के नाम रजत अक्षर में भी लिखेंगे, जिन्होंने सनातन संस्कृति, गौमाता और आध्यात्मिक-धार्मिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

ब्रह्मलीन संत स्वरूपानंद सरस्वती के जयंती उत्सव में शामिल होने के लिए देश के अनेक स्थान से साधु संतों का मुंबई आगमन शुरू हो गया हैl शंकराचार्य की उपस्थिति में हो रहे इस समारोह को भव्य स्वरूप प्रदान किया जा रहा है।