● बुद्धि और समृद्धि के देवता की आराधना का महापर्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार प्रायः अगस्त अथवा सितंबर माह में पड़ती है। इस दिन भक्तगण गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और समृद्धि प्रदाता के रूप में पूजते हैं।
10 दिवसीय गणेशोत्सव और विसर्जन
गणेश चतुर्थी के दिन घरों और पंडालों में गणपति की स्थापना कर भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। कोई डेढ़ दिन, पांच दिन, सात दिन, नौ दिन और कोई अनंत चतुर्दशी के दिन मूर्ति का विसर्जन करता है। भव्य शोभायात्राओं के साथ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नदियों, तालाबों और समुद्र में किया जाता है।
चंद्र दर्शन का निषेध और मिथ्या दोष
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना वर्जित है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से व्यक्ति मिथ्या दोष का शिकार होता है और उस पर चोरी जैसे झूठे आरोप लग सकते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। ऋषि नारद ने इसका कारण यही बताया कि कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन किया था। यही श्राप भगवान गणेश ने चंद्रदेव को दिया था। बाद में गणेश चतुर्थी का व्रत कर भगवान कृष्ण इस दोष से मुक्त हुए।
मिथ्या दोष निवारण मंत्र
यदि कोई भूलवश इस दिन चंद्रमा को देख ले तो निम्नलिखित मंत्र का जप करने से दोष का निवारण माना गया है-
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥