
● सूर्यकांत उपाध्याय
डॉ. अर्जुन वर्मा नामी न्यूरोलॉजिस्ट थे, जिन्हें भगवान पर विश्वास नहीं था। एक दिन लकवाग्रस्त वृद्ध आया, जो हरदम बस भोलेनाथ का नाम जपता रहता था। डॉक्टर ने हँसते हुए कहा, ‘अगर बाबा ठीक करेंगे तो मुझे क्यों बुलाया?’
उसी रात अर्जुन को सपना आया कि एक गुफा में शिवलिंग और तेजस्वी योगी प्रकट हुए। योगी ने कहा, ‘जीवन और मृत्यु के बीच केवल श्रद्धा टिकती है, विज्ञान नहीं।’
सुबह अर्जुन ने मरीज को देखा। चमत्कार हुआ। 7 दिन में मरीज बोलने लगा, 15 दिन में चलने लगा। जाते-जाते उसने कहा, ‘बेटा, बाबा ने ही भेजा है तुम्हें।’
उस दिन से अर्जुन बदल गए। मंदिर जाने लगे, ध्यान करने लगे और गरीबों के लिए ‘शिवसेवा क्लिनिक’ खोल दिया। हर मरीज से कहते, ‘इलाज मैं करूंगा, भरोसा रखना भोलेनाथ पर।’
कुछ वर्षों बाद जब किसी ने पूछा ‘डॉक्टर साहब, आपके जीवन में यह बदलाव और यह शांति कहाँ से आई?’
अर्जुन मुस्कराए, ‘शिव को देखा नहीं… पर हर धड़कन में ज़रूर महसूस किया है।’
संदेश: भोलेनाथ को देखने की नहीं, महसूस करने की जरूरत है और वही जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार है।