- इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि विवाह पंजीकृत नहीं है, फिर भी दोनों पक्ष उसके अस्तित्व को स्वीकार करते हैं तो तलाक की कार्यवाही में विवाह प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है।
न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने आजमगढ़ फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द किया, जिसमें विवाह प्रमाण पत्र दाखिल करने पर जोर दिया गया था। दंपती ने 2010 में विवाह किया था पर उसका पंजीकरण नहीं हुआ था।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और यूपी विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 के अनुसार पंजीकरण न होने पर भी विवाह अमान्य नहीं होता। ऐसे में प्रमाण पत्र मांगना गलत है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट को मामले का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया।