● सूर्यकांत उपाध्याय

मैं एक दुकान में खरीददारी कर रहा था। तभी मैंने देखा कि कैशियर लगभग छह साल की एक बच्ची से कह रहा था, ‘माफ़ करना बेटा, लेकिन इस गुड़िया को खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं।’
बच्ची ने मेरी ओर मुड़कर पूछा, ‘अंकल, क्या सचमुच मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?’
मैंने उसके पैसे गिने और कहा, ‘हाँ बेटी, यह सच है कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पूरे पैसे नहीं हैं।’
वह अब भी गुड़िया हाथ में लिए खड़ी थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके पास गया और पूछा, ‘यह गुड़िया तुम किसे देना चाहती हो?’
उसने उत्तर दिया, ‘यह वही गुड़िया है जो मेरी बहन को बहुत पसंद थी। मैं इसे उसके जन्मदिन पर उपहार देना चाहती हूँ। लेकिन पहले मम्मी को दूँगी ताकि वह इसे मेरी बहन तक पहुँचा दें।’
यह कहते-कहते उसकी आँखें भर आईं। फिर बोली, ‘मेरी बहन भगवान के घर चली गई है और पापा कहते हैं कि मम्मी भी जल्दी ही भगवान से मिलने वाली हैं। तो मैंने सोचा कि क्यों न वे यह गुड़िया साथ ले जाकर बहन को दे दें।’
मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। उसने एक ही सांस में सब कुछ कह डाला और फिर बोली, ‘मैंने पापा से कहा है कि मम्मी से कहें, वो अभी न जाएँ… दुकान से लौटने तक इंतज़ार करें।’
उसने मुझे अपनी हँसती हुई तस्वीर दिखाते हुए कहा, ‘मैं चाहती हूँ कि मम्मी इसे भी अपने साथ ले जाएँ ताकि बहन मुझे भूल न पाए। मैं मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ। मुझे नहीं लगता कि वो मुझे छोड़कर जाने को राज़ी होंगी, पर पापा कहते हैं कि उन्हें मेरी छोटी बहन के पास जाना ही पड़ेगा।’
इसके बाद उसने गुड़िया को उदास नज़रों से देखा। मेरा हाथ अपने आप बटुए तक चला गया। मैंने धीरे से उसके पैसों में कुछ नोट जोड़ दिए और कहा,’चलो, एक बार फिर गिनते हैं।’
अब पैसे न सिर्फ गुड़िया के लिए काफी थे बल्कि कुछ अतिरिक्त भी थे। बच्ची खुशी से बोली, ‘भगवान का लाख-लाख धन्यवाद है!’
उसने आगे कहा, ‘मैंने कल रात भगवान से प्रार्थना की थी कि गुड़िया के लिए पैसे मिल जाएँ। मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद है पर मैं इतने पैसे माँगने की हिम्मत नहीं कर पाई थी। भगवान ने मुझे इतने पैसे दिए कि अब मैं गुड़िया के साथ मम्मी के लिए सफेद गुलाब भी खरीद सकती हूँ।’
मैं दुकान से निकलते हुए उसे भूल नहीं पा रहा था। तभी मुझे अख़बार में पढ़ी खबर याद आई, एक शराबी ट्रक चालक ने नशे की हालत में मोबाइल पर बात करते हुए कार को टक्कर मार दी थी। उसमें तीन साल की बच्ची की मौत हो गई थी और उसकी माँ कोमा में चली गई थीं।
दो दिन बाद समाचार आया कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका। मैं अंतिम दर्शन को पहुँचा। श्वेत वस्त्रों में वह महिला अपने हाथ में सफेद गुलाब और बच्ची की तस्वीर लिए हुए थी। उसके सीने पर वही गुड़िया रखी थी।
मेरी आँखें नम हो गईं।
उस नन्हीं बच्ची का अपनी माँ और बहन के लिए प्यार शब्दों में बयान करना कठिन है। लेकिन एक शराबी चालक की लापरवाही ने क्षणभर में उसका सब कुछ छीन लिया।
