● व्यंग्य, संवेदना और शानदार अभिनय का संगम

मुंबई।
अनुपम कला केंद्र द्वारा प्रस्तुत व्यंग्यात्मक नाटक ‘ईमानदार लाश’ का मंचन चौबारा सभागार, आराम नगर-मुंबई में अत्यंत सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। देवेंद्र कुमार मिश्र द्वारा लिखित इस नाटक ने न सिर्फ दर्शकों को हँसाया बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर कर दिया। शो हाउसफुल रहा और दर्शकों की प्रतिक्रियाएं अत्यंत उत्साहवर्धक रहीं।
नाटक की कहानी रमाशंकर पांडेय की मृत्यु से शुरू होती है, एक ऐसा किरदार जो अपने जीवन में ईमानदारी और निष्ठा का प्रतीक था। उनकी अचानक मृत्यु और उससे उपजी दुर्गंध आसपास के पड़ोसियों को चौंकाती है। इसके बाद उनके तथाकथित रिश्तेदारों का आगमन होता है- शोक के लिए नहीं बल्कि संपत्ति के बंटवारे की लालसा में। यह व्यंग्य नाटक गहरी संवेदना के साथ समाज के उस यथार्थ को दर्शाता है, जहाँ मृत्यु भी अवसर बन जाती है और मानवीय लालच एक त्रासदी को तमाशा बना देता है।

नाटक में अभिनय की दृष्टि से सूफिया तनवीर का डबल किरदार (मिसेज पांडेय और एडवोकेट) विशेष उल्लेखनीय रहा। दोनों भूमिकाओं में उन्होंने अद्भुत संतुलन और प्रभावशाली संवाद अदायगी से दर्शकों को खूब प्रभावित किया। इस नाटक का निर्देशन विवेक गौड़ ने किया, जिन्होंने झबरू के हास्यपूर्ण और जीवंत किरदार को भी बखूबी निभाया। वहीं, राजश्री तमोली ने सरदारनी की भूमिका में गहरी छाप छोड़ी। रवि ठाकुर, अभिषेक, सूरज, राहुल, मनप्रीत कौर और केविन जोर्डन ने भी अपने अभिनय से मंच को जीवंत बनाए रखा।
विशेष बात यह रही कि रोशन शाह, जिन्होंने मृतक रमाशंकर पांडेय की भूमिका निभाई, मंच पर कभी जीवित रूप में नजर नहीं आए। बावजूद इसके, पूरे नाटक की कहानी उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती रही। उनकी वसीयत को नाटक के अंत में एडवोकेट (सूफिया तनवीर) द्वारा पढ़कर सुनाना, नाटक का चरम बिंदु था- जिसने पूरे हॉल को ठहाकों और तालियों से गूंजा दिया।
‘ईमानदार लाश’ एक ऐसा नाटक है, जो हास्य की चादर ओढ़े, सामाजिक विडंबनाओं पर तीखा व्यंग्य करता है। अनुपम कला केंद्र की यह प्रस्तुति दर्शकों को न केवल मनोरंजन का भरपूर अनुभव देती है बल्कि उन्हें भीतर तक झकझोर भी देती है।